राष्ट्रीय महिला दिवस पर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने किया प्रदर्शन जिला प्रशासन को सौप मांग पत्र

Anganwadi workers staged a protest on National Women's Day and handed over a demand letter to the district administration

आजमगढ़। आँगनबाड़ी कर्मचारी व सहायिका एसोसिएशन, उ०प्र० के बैनर तले कलेक्ट्रेट स्थित रिक्शा स्टैंड पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता हेमा गुप्ता एवं संचालन शशिकला यादव ने किया। वक्ताओं ने कहा कि पूरे विश्व में महिलाओं को शारीरिक और बौद्धिक रूप से पुरुषों की अपेक्षा कम आँका जाता है और हमें पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी दी जाती है। जबकि आज महिलायें हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। फिर भी इस तरह का भेद-भाव सामन्ती व्यवस्था से लेकर आज तक जारी है। सन् 1917 में जब रूस में कम्युनिस्टों की अगुवाई में समाजवादी क्रान्ति चल रही थी तो उस समय वहाँ की कामकाजी मजदूर महिलाओं द्वारा 08 मार्च को जारशाही व्यवस्था के विरूद्ध व्यापक आन्दोलन करके अपने हक की मांग की गयी। बाद में रूस में कम्युनिस्टों का शासन आने पर उन महिलाओं की सभी मांगों को मान लिया गया और अपने समाजवादी एजेण्डे में महिलाओं को पुरुषों के बराबर हक देने एवं वर्ग विहीन समाज स्थापित करने के लिये मसौदा तैयार किया गया। पूरे विश्व में इसकी गहरी छाप पड़ी और तभी से पूरे विश्व में 08 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। वक्ताओं ने कहा कि इस देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की प्रासंगिकता की बात करें, तो उसमें दो महिलाओं का नाम आता है, जो दलित परिवार से होते हुये भी पूरी समूची नारी जगत के जीवन में रोशनी लाने का काम किया है। रमाबाई अम्बेडकर ने समूची नारी जगत के साथ सदियों से हो रहे शोषण, अत्याचार, अपमान और तिरस्कार के विरूद्ध महिलाओं को एकजुट करके संघर्ष किया। इसी प्रकार सावित्री बाई फूले ने नारियों को हमेशा से शिक्षा से वंचित रखने वाली सामन्ती व्यवस्था के विरूद्ध महिलाओं को एकजुट करके संघर्ष चलाया और नारियों को शिक्षित भी किया। इसी कारण उन्हें प्रथम महिला शिक्षिका के रूप में जाना जाता है। ऐसे ही अनेकों महिला वीरांगनाओं ने संघर्ष करके नारी जगत को आज इस मुकाम तक पहुँचाया है। संगठन की जिलाध्यक्ष हेमा गुप्ता ने कहा कि जब समूची नारी जगत का आर्थिक विकास होगा और वह अपने पैर पर खड़ी होगीं, तभी उन्हें समाज में इज्जत एवं सम्मान मिलेगा तथा उनके साथ हो रहे शोषण उत्पीड़न का अंत होगा। ऑगनबाड़ी बहनों से बंधुआ मजदूर की तरह कई विभागों के महत्वपूर्ण काम तो लिये जाते हैं, किन्तु सम्मानजनक मानदेय नहीं दिया जाता है। विभागीय मंत्री जो खुद एक महिला हैं, वह भी आँगनबाड़ी महिलाओं की समस्याओं के बारे में व्यंग कसती हैं और मानदेय बढ़ाने का विरोध करती हैं। समाज में अमीर महिलाओं और गरीब महिलाओं में इसी तरह का विरोध और पक्षपात मौजूद है, जिसकी वजह से समूची नारी जगत, खासकर कामकाजी मजदूर महिलाओं का भला होना सम्भव नहीं है। इएलिए आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यह संकल्प लेते हैं कि हम सभी एक बैनर तले एकजुट होकर अपने हक और अधिकार के लिए इस व्यवस्था के विरूद्ध अनवरत वर्ग-संघर्ष चलायेगें और अपनी मांगों को मनवाकर दम लेगें। सभा को गुंजा बरनवाल, रेनू देवी, रेखा बिन्द, शशिकला यादव, अनीता अस्थाना, प्रेमशीला, सुशीला, संध्या सिंह, रम्भा सिंह, पूनम सिंह, शीला सिंह, सुनीला देवी आदि ने सम्बोधित किया।

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