124 ग्राम प्रधानों के विरुद्ध लंबित शिकायतों की जांच में लापरवाही:आजमगढ़ डीएम ने जताई नाराजगी
Negligence in investigating pending complaints against 124 village heads: Azamgarh District Magistrate expressed displeasure
आजमगढ़ 04 जुलाई– जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया है कि 124 ग्राम प्रधानों के विरूद्ध लम्बित शिकायतों की जांच हेतु विकास खण्डवार जांच कमेटी बनायी गयी थी। उक्त के बाद दिनांक 20 मई 2025 को समस्त जांच अधिकारियों के साथ बैठक की गयी तथा उन्हें जांच के बारे में स्पष्ट निर्देश दिये गये। स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बाद भी प्रायः ऐसा देखा जा रहा है कि नामित जांच अधिकारियों द्वारा शिकायत के समस्त बिन्दु पर जांच न करके सरसरी तौर पर जांच कर आख्या दिया जाता है और उसी आधार पर शिकायत को निक्षेपित करने हेतु आप के स्तर से पत्रावली अधोहस्ताक्षरी के समक्ष प्रस्तुत की जाती है, जो कदापि उचित नहीं है।उक्त के सम्बन्ध में पूर्व में भी कई जांच पत्रावलियां, जो जिलाधिकारी के समक्ष निक्षेपित हेतु प्रस्तुत की गयी थीं, जिस पर निर्देशित किया गया था कि “जांच आख्या के आधार पर प्रकरण को निक्षेपित करने के लिए संस्तुति करने से पहले शिकायत के समस्त बिन्दु के सम्बन्ध में स्थलीय सत्यापन किया गया है।’, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला पंचायत अधिकारी के स्तर से इसका प्रभावी पर्यवेक्षण नहीं हो रहा है, जिसके कारण अभी भी प्रभावी जांच नहीं हो रही है।उक्त के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने पुनः मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला पंचायत अधिकारी निर्देशित किया है कि जांच अधिकारियों के जांच आख्या की नियमित अनुश्रवण कर प्रभावी जांच हेतु विभिन्न बिन्दुओं पर अनुपालन सुनिश्चित करायें।जिसके अंतर्गत जांच आख्या आने पर आप स्वयं पढ़कर यह देख लें कि शिकायत के समस्त बिन्दुओं के सम्बन्ध में अभिलेखीय साक्ष्य व स्थलीय भ्रमण के दौरान पाये गये स्थिति के अनुसार जांच आख्या हो, न कि ग्राम सचिवों द्वारा दिये गये मौखिक स्टेटमेंट के आधार पर। जांच आख्या में यह बात भी स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए कि व्यक्तिगत कार्य के जो लाभार्थी है, उनका कार्य पूर्ण होने के सम्बन्ध में वीडियोग्राफी में मौखिक लिखित स्टेटमेंट लिया गया है कि नहीं। ग्राम पंचायत के अन्दर कोई सार्वजनिक उपयोग का निर्माण होने पर ग्रामवासियों का स्टेटमेंट, प्रा०वि०/जू०हा०स्कूल में एमडीएम की शिकायत होने पर वहां पढ़ने वाले छात्रों/अभिभावक आदि का वीडियोग्राफी में मौखिक स्टेटमेंट जांच आख्या में अंकित है कि नहीं। निक्षेपित हेतु प्रस्तुत पत्रावलियों के अवलोकन से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हैण्डपम्प मरम्मत और रिबोर की अधिक शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। ऐसी शिकायतों की जांच करते समय स्थानीय लोगों का लिखित बयान एवं वीडियोग्राफी में मौखिक स्टेटमेंट भी जरूरी है। साथ ही साथ कुछ हैण्डपम्प के रिबोर की हिस्ट्री तथा वर्तमान में ग्राउण्ड वाटर लेबल के सापेक्ष कितने मीटर तक रिबोर किया गया है, यह भी जानना जरूरी होगा। क्योंकि पूर्व में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सबसे गहरे भूजल स्तर तक रिबोर की जाये, ताकि गर्मियों में ग्राउण्ड वाटर लेबल नीचे जाने के बाद भी हैण्डपम्प में पानी आता रहे।जिलाधिकारी ने कहा कि यदि भविष्य में उपरोक्त निर्देशों का अनुपालन न कर सरसरी तौर पर प्रस्तुत जांच आख्या के आधार पर शिकायत निक्षेपित करने हेतु पत्रावली जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जाती है तो यह माना जायेगा कि आप प्रधान के विरूद्ध की गयी शिकायत की प्रभावी जांच करवाने में रुचि नहीं ले रहे हैं, जो कदापित उचित नहीं है।वर्तमान में जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत पत्रावलियों में “ग्राम पंचायत बरसैरवा, विकास खण्ड-लालगंज व ग्राम पंचायत देवकली तारन, विकास खण्ड-सठियांव के ग्राम प्रधान के विरूद्ध की गयी शिकायत की जांच हेतु नामित अधिकारियों द्वारा सरसरी तौर पर प्रस्तुत जांच आख्या के आधार पर शिकायत को निक्षेपित करने हेतु प्रस्तुत किया गया।” उक्त दोनों पत्रावली इस निर्देश के साथ वापस किया जा रहा है कि कृपया एक पक्ष के अन्दर शिकायत के समस्त बिन्दुओं पर प्रभावी जांच कराकर पुनः पत्रावली प्रस्तुत करें।