Azamgarh news:राज्यपाल एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित डॉ० ईश्वर चंन्द्र त्रिपाठी की पुस्तक कबीर हूं कबीर रहने दे का कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार ने किया लोकार्पण

Azamgarh:Governor and internationally honoured Dr Ishwar Chandra Tripathi's book 'Kabir Hoon Kabir Rahne De' was launched by Vice Chancellor Professor Sanjeev Kumar

रिपोर्ट:रोशन लाल

आजमगढ़। अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगम भारत तत्वावधान में आजमगढ़ के जाने माने साहित्यकार, राज्यपाल सम्मान एवं अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित डॉ० ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी की पुस्तक *कबीर हूं कबीर रहने दें* का भव्य लोकार्पण, अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का उद्घाटन की अध्यक्षता, साहित्य भूषण राजाराम सिंह और मुख्य अतिथि महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार ने गरुण होटल में पुस्तक *”कबीर हूं कबीर रहने दे*” की भुरि भुरि प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पुस्तक वर्तमान समाज की आत्मा पर दस्तक देती है।पुस्तक का लोकार्पण समाज में सूर्योदय की तरह होता है,जो समाज की विषमताओं के अंधेरे को अपनी संवेदना के प्रकाश से काट देती है।
लेखक एवं प्रसिद्ध गीतकार डॉ० ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी ने अपनी पुस्तक का विमोचन कुलपति द्वारा कराते हुए कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए अपनी चिर परिचित पंक्तियों को पढ़ते हुए कहा कि- *बुजुर्ग शाम तेरी राह एक दिया रख दूं, हमारे बाद कोई और जलाए कि नहीं*।
अंतर्राष्ट्रीय ओज कवि भूषण त्यागी ने अपने काव्य पाठ करते हुए-
ये बात और है कि हम महलों में पल रहे, रखवाले मेंरे देश के सीमा पर जल रहे,
अंतर्राष्ट्रीय हास्य कवि बादशाह प्रेमी ने अपनी लोकप्रिय कविता कुकुर भोज पढ़ते हुए सभी को खूब हंसाया। कवित्री नम्रता रागनी ने काव्य पाठ जबरदस्त किया-
चलाओ आधिंया तूफान सहन में मेरे लेकिन, जरा चिराग जो दिल में कभी वह बुछ नहीं सकता,
कवयित्री गीता त्रिपाठी अपनी चर्चित कविता पाठ करते हुए-
अब सोचो जरा कैसे हम घर तेरे आए हैं, सावन की फुहारों में ये मेहंदी लगाए हैं।
गीतकार हेमंत त्रिपाठी ने अपनी चर्चित कविता पाठ किया-
हो गया बदलाव कितना, आज इस चंचल नदी में। डूब जाती कश्तियां होती नहीं हलचल नदी में।
कबीर हूं कबीर रहने दे” का भव्य लोकार्पण समारोह एवं अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी और कवि सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात विद्वान 600 पुस्तकों के रचयिता महाकवि राजेंद्र राहगीर ने कहा कि-
अपनी बागों का बट प्यार, अपनी सरिता का तट प्यारा, अपने घर का हर घट प्यारा, अपने जग का मरघट प्यारा*।
चिल्ड्रन कॉलेज आजमगढ़ के अध्यक्ष डॉक्टर कृष्ण मोहन त्रिपाठी,भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रमुख समाजसेवी प्रवीण कुमार सिंह, भाजपा लालगंज आजमगढ़ के पूर्व अध्यक्ष सूरज प्रकाश श्रीवास्तव, कब सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे चंद्रिका प्रसाद सिंह मुन्ना बाबू, सीएमओ राजेश प्रताप सिंह एवं शिल्प कला के राष्ट्रीय कलाकार श्रीमती संतोष सिंह, प्रबंधक शिव गोविंद सिंह, संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता सिद्धार्थ सिंह,फैशन मॉडल डिजाइनर प्रज्ञा पांडेय ,अंशिका सिंह, आयुषी गुप्ता, वेदांती वर्मा शिल्पी अस्थाना आदि बधाई देते हुए अपने अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर जगदंबा प्रसाद दुबे (हिंदी विभाग) डीएवी पीजी कॉलेज आजमगढ़ पुस्तक की समीक्षा विधिवत करते हुए कबीर और पुस्तक के बारे में विस्तार से चर्चा किये।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्य भूषण राजाराम सिंह ने अपनी बहुचर्चित कृति-
तुमने सांप के मुंह पर रख दिया पांव… सुनाकर दर्शकों को सोचने के लिए बाध्य कर दिया*। जिसका संचालन एवं संयोजन डॉ घनश्याम दुबे प्रशिक्षक आयुक्त रोवर रेंजर एवं अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगम भारत के संयोजक अरविंद श्रीवास्तव “चित्रांश’ ने किया। विशेष सहयोग में डॉ अवनीश अस्थान, डॉ सुभाष सिंह, अंकित पांडेय, अवधेश यादव अजय यादव रहे।

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