सीवान बोले-अबकी बार विकास और सम्मान का संगम:ओसामा शहाब
बिहार चुनाव 2025 : सीवान में लौट रही है शहाबुद्दीन की विरासत, ओसामा शहाब बने नई उम्मीद का चेहरा सीवान

विशेष संवाददाता
सीवान की राजनीति एक बार फिर उसी ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गई है, जहां “नाम” ही अपने आप में पहचान होता है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस बार दिवंगत बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को मैदान में उतारकर सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। यह सिर्फ एक चुनावी घोषणा नहीं, बल्कि उस विरासत की पुनर्वापसी है जिसने दशकों तक सीवान की राजनीति को परिभाषित किया।ओसामा शहाब की एंट्री के साथ ही सीवान में राजनीतिक चर्चा फिर जोरों पर है। लोगों की नजरों में यह सिर्फ एक प्रत्याशी नहीं, बल्कि “विकास और सम्मान की नई कहानी” लिखने वाला चेहरा है। युवा मतदाता ओसामा को एक शिक्षित, शालीन और आधुनिक सोच वाले नेता के रूप में देख रहे हैं, जो अपने पिता की विरासत को नई दिशा देना चाहते हैं।
शहाबुद्दीन की छाया, ओसामा की नई पहचान
सीवान की गलियों में आज भी मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम गूंजता है। उनके समर्थक कहते हैं. “साहब के समय सीवान में व्यवस्था थी, न्याय था, और लोगों को अपनी आवाज सुनाने का हक था।अब वही जनता उनके बेटे ओसामा में उसी मजबूत नेतृत्व की झलक देख रही है। ओसामा की सादगी, युवाओं से संवाद और जनता के बीच पहुंच ने उन्हें एक अलग पहचान दी है।
विकास पर फोकस, विरासत से जुड़ाव
ओसामा शहाब ने अपने जनसंपर्क अभियान की शुरुआत लोगों से संवाद से की है, गांवों, चौपालों और गलियों में जाकर उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य सीवान को फिर से विकास की राह पर लाना है।उनका कहना है,“मेरे पिता ने जो सपना देखा था, मैं उसे पूरा करूंगा। सीवान का सम्मान लौटाना मेरा पहला लक्ष्य है।”
जातीय समीकरण और जनसमर्थन
सीवान की सियासत हमेशा से जातीय संतुलन पर टिकी रही है, लेकिन इस बार समीकरण बदले हैं। मुस्लिम-यादव (MY) गठजोड़ के अलावा दलित, अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग भी ओसामा के साथ जुड़ता दिख रहा है।स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “ओसामा शहाब न केवल शहाबुद्दीन की पहचान को दोहरा रहे हैं, बल्कि उसे आधुनिक राजनीति की भाषा में आगे बढ़ा रहे हैं।”
जनता की उम्मीद
सीवान के लोगों की जुबान पर अब एक ही नाम है.ओसामा।लोग कहते हैं कि वे अपने पिता की तरह मजबूत, लेकिन संवादप्रिय हैं। उनमें वह जोश और संवेदनशीलता दोनों है, जिसकी सीवान को आज ज़रूरत है।



