दिल्ली के संगम विहार में कूड़े-कचरे के ढेर से आम जनता परेशान
The general public is troubled by the heaps of garbage in Sangam Vihar, Delhi
नई दिल्ली, 12 जुलाई। नगर निगम को लेकर आम आदमी पार्टी में बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन निगम की सत्ता में आने के बाद भी हालात बदले नहीं हैं। एक तस्वीर दिल्ली के देवली विधानसभा क्षेत्र के संगम विहार वार्ड 161 से सामने आई है। यहां एमसीडी के कर्मचारी बांध रोड पर बने सड़क पर ही कचरा फेंक जाते हैं।
कूड़े कचरे के ढेर की वजह से इलाके में गंभीर बीमारियों का भी खतरा बढ़ रहा है। यहां से गुजरने वाले राहगीर और स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं है।
जब निगम में बीजेपी की सरकार थी, तब यहां पर एफटीसीपी प्लांट लगाया गया था, तब यह प्लांट चल रहा था, लेकिन अब इस प्लांट में कूड़ा नहीं जाता है। नाम मात्र के लिए प्लांट के अंदर कूड़ा जा रहा है। सारा कूड़ा-कचरा सड़क पर फेंका जा रहा है। एमसीडी की गाड़ियां आती हैं। रात में कूड़ा यहां पर फेंक कर चली जाती हैं।
संगम विहार में रहने वाली बबली शर्मा बताती हैं कि वह हर दिन इस सड़क से गुजरती हैं। हर दिन का यही हाल है। कभी साफ सफाई नहीं होती है। कई पार्टी आई और चली गई। अब तो आम आदमी पार्टी की दिल्ली नगर निगम में सरकार है। उसके बावजूद यहां पर साफ सफाई नहीं होती है। सड़कों पर आवारा पशु घूम रहे हैं। गायें कूड़ा कचरा खा रही हैं। कोई देखने वाला नहीं है।
वहीं सड़क से मास्क लगाकर गुजर रहे हरीश रावत का कहना है कि सरकार अपनी जिम्मेदारियां से भागती है। एक दूसरे पर आरोप लगाती है। सड़क पर गंदगी फैली हुई है। सड़ा हुआ कूड़ा कचरा फैला हुआ है। यहां से निकलना मुश्किल हो जाता है, लेकिन मजबूरी में यहां से जाना पड़ता है।
बाइक से गुजर रहे कृष्ण कुमार नाम के व्यक्ति ने बताया कि यहां पर कोई काम नहीं होता है। गलियों में भी साफ सफाई नहीं होती है और इस सड़क पर तो बुरा हाल है। वह हर दिन यहां से गुड़गांव नौकरी के लिए निकलते हैं, यहां पर हर समय गंदगी नजर आती है। कोई साफ-सफाई नहीं होती है। पास में भी प्लांट भी बनाया गया है, उसमें कोई कूड़ा नहीं जाता है।
सड़क पर कूड़ा फैला हुआ है। यहां कूड़े कचरे के ढेर पर गायें घूम रही हैं। कभी कभार इन गायों की वजह से एक्सीडेंट भी हो जाता है। गायें कूड़ा कचरा खा कर बीमार हो रही हैं।
मुंह पर स्कार्फ लगा कर जा रही हिना ने बताया कि यहां पर हर रोज यही हालत है। क्या करें मजबूरी है। जीना तो है। हमको तो आदत हो गई है, यहां कभी भी साफ-सफाई नहीं होती है। सड़कों पर कूड़ा और कचरा ऐसे ही पड़ा रहता है।