रौजा गाजी मियां वाली मस्जिद में नमाज-ए-तरावीह मुकम्मल

हाफिज तालिब खां का मुक्तदियों ने फूल माला पहनाकर किया इस्तकबाल

 

रिपोर्ट अशरफ संजरी

भदोही। मुकद्दस माह-ए-रमजान में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज-ए-तरावीह के मुकम्मल होने का सिलसिला शुरू हो गया। मंगलवार की रात नगर के मर्यादपट्टी मोहल्ले में स्थित हजरत सैयद सालार मसूद गाजी रह.अ.के आस्ताने वाली मस्जिद में तरावीह मुकम्मल हुई। हाफिज तालिब खां ने तरावीह मुकम्मल कराई तो मुक्तदियों ने फूलमाला पहनाकर उनका इस्तकबाल किया।

इस दौरान मौलाना अब्दुस्समद जिताई ने कहा कि मुकद्दस माह-ए-रमजान रहमतों, बरकतों व फजीलतों वाला महीना है। इस मुकद्दस महीने में अल्लाह अपने बंदों के एक-एक नेकी का सबाब 70 गुना देता है। हर नवाफिल का सबाब सुन्नतों बराबर और हर सुन्नत का सबाब फर्ज के बराबर हो जाता है। इसी तरह सभी फर्ज का सबाब 70 गुना कर दिया जाता है। माह-ए-रमजान में अल्लाह की रहमत खुलकर बंदों के उपर बरसती है। उन्होंने तरावीह की नमाज़ मुकम्मल के दौरान जो भी लोग वहां पर मौजूद थे। उनसे बोलें कि जितनी हो सके उतनी नेकी इस मुकद्दस महीने में इबादत से हासिल कर लें। शिद्दत से पांच वक्त की नमाज पढ़ें और खूब तिलावत करें। कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा इबादत किया जा सकें। हाफिज मो.तालिब खां ने कहा कि तरावीह मुकम्मल होने का मतलब यह नहीं कि फिर से तरावीह न पढ़ी जाएं। मुकद्दस माह-ए-रमजान में पूरे महीने तक तरावीह या फिर सूरह तरावीह पढ़ते रहें। इसके साथ ही साथ इस महीने में ज्यादा से ज्यादा गरीबों, यतीमों व मिस्किनों की मदद करें। तरावीह मुकम्मल होने के बाद हाफिज मो.तालिब खां ने बारगाहे इलाही में दोनों हाथों को फैलाकर मुल्क की सलामती, तरक्की और अमन-चैन कायम रखने के लिए दुआएं मांगी।

इस मौके हाजी अब्दुल रशीद खां, रफीक खां, अब्दुल रज्जाक खां, नुरैन खां, अब्दुल रहीम खां, शेरु खां, फिरोज खां, वहीद खां व सैफ खां आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहें।

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