महाराष्ट्र के चुनावी सागर मे भंवर की लहरों से टकरा रही है सपा की नांव
Abu Asim Azmi is the biggest face of Samajwadi Party in Maharashtra politics. SP has 100% hope that Ajmi will win this time too but the election battle is very tough for Ajmi this time. Abu Azmi is the state president of SP, he is also a big Muslim face of Maharashtra politics. He has won elections from Mankhurd Shivaji Nagar seat three times and this time he is also SP candidate from here. But why is the election battle proving difficult for them? This is because NCP Ajit Pawar faction leader and former Maharashtra government minister Nawab Malik is contesting against Azmi. Apart from this, leaders close to Azmi are also upset with him. It must be said that there has been a lot of opposition within the Grand Alliance regarding the candidature of Nawab Malik. Nawab Malik was arrested by the ED in 2022 in a money laundering case and was in jail for 18 months.
रिपोर्ट:रोशन लाल
महाराष्ट्र की राजनीति में समाजवादी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा अबू आसिम आजमी हैं। सपा को 100% उम्मीद है कि आजमी इस बार भी जीत दर्ज करेंगे लेकिन आजमी के लिए इस बार चुनावी लड़ाई बेहद कठिन है। अबू आजमी सपा के प्रदेश अध्यक्ष तो हैं ही, महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े मुस्लिम चेहरे भी हैं। वह तीन बार मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से चुनाव जीत चुके हैं और इस बार भी यहां से सपा के उम्मीदवार हैं। लेकिन उनके लिए चुनावी लड़ाई मुश्किल क्यों साबित हो रही है? ऐसा इसलिए क्योंकि आजमी के सामने एनसीपी अजित पवार गुट के नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री नवाब मलिक चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा आजमी के करीबी नेता भी उनसे नाराज हैं। बताना होगा कि नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर महायुति के अंदर ही अच्छा-खासा विरोध हो चुका है। नवाब मलिक को 2022 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था और वह 18 महीने तक जेल में रहे थे।
कैसे राजनीति में आए अब असीम आजमी
अबू आजमी 1990 के दौरान तब चर्चित हुए थे जब उन पर 1993 के मुंबई बम धमाकों से जुड़े एक शख्स के लिए हवाई टिकट की व्यवस्था करने का आरोप लगा था। उन्हें इस मामले में टेररिज्म एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट यानी टाडा के तहत गिरफ्तार किया गया था। 2 साल जेल में बिताने के बाद 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। इसके बाद वह राजनीति में आए और उनकी प्रतिभा को देखते हुए सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने अबू आजमी को 1995 में महाराष्ट्र में पार्टी का अध्यक्ष बना दिया।मुलायम सिंह यादव ने ऐसा इसलिए भी किया था क्योंकि मुंबई में उत्तर भारतीय मुस्लिम समुदाय के बीच अबू आजमी का अच्छा समर्थन था।
वर्किंग स्टाइल को लेकर नाराजगी
अबू आजमी पर इस बात का आरोप लगता है कि महाराष्ट्र में वह समाजवादी पार्टी को अपनी निजी जागीर की तरह चलाते हैं। 1995 में उन्होंने अपने राजनीतिक कौशल की झलक तब दिखाई थी जब महाराष्ट्र के चुनाव में सपा को तीन सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इन सभी विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और कहा था कि उन्हें अबू आजमी के कामकाज के तरीके से परेशानी है। इसके बाद भी कई नेताओं ने यही बात कहते हुए पार्टी को अलविदा कह दिया।महाराष्ट्र में सपा के एक पूर्व विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि अबू आजमी के साथ काम करना मुश्किल है, वह अक्खड़ स्वभाव के हैं और जिस तरह वह लोगों से बात करते हैं उससे कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता।लेकिन बहुत सारी शिकायतों के बाद भी वह मुलायम सिंह यादव के भरोसेमंद बने रहे और इसी वजह से पार्टी ने उन्हें 2002 में राज्यसभा भेजा था। 2004 के विधानसभा चुनाव में अबू आजमी 30 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गए थे लेकिन उन्होंने फिर से मेहनत की और 2009 के विधानसभा चुनाव में वह भिवंडी और मानखुर्द शिवाजी नगर यानी दो सीटों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे।अबू आजमी का जिस तरह का राजनीति करने का अंदाज है, उससे उन्हें एक पहचान भी मिली है। वह खुलकर अपनी बात रखते हैं और उत्तर भारतीय प्रवासियों के बीच में लोकप्रिय हैं। लेकिन इस चुनाव में निश्चित रूप से नवाब मलिक जैसे बड़े नेता ने उनके सामने मुश्किल खड़ी कर दी है। अबू आजमी के पास मानखुर्द शिवाजी नगर के अलावा अन्य सीटों पर भी सपा उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करने की जिम्मेदारी है।