Azamgarh news:जीवित्पुत्रिका का व्रती महिलाओं ने की आराधना
Azamgarh:Women observing fast on Jivitputrika worshipped
प्रेम प्रकाश दुबे की रिपोर्ट
निजामाबाद/आजमगढ़।भारतीय नारी धर्म के प्रति इतना अटूट विश्वाश रखने वाली होती है कि उनके प्रति वह सब कुछ समर्पित कर आस्था के इस पड़ाव पर पहुंचकर पुत्रों की समृद्धि के लिए या पुत्र प्राप्ति के लिए सबसे बड़ा और कठिन व्रत भी कर सकती हैं।उस व्रत को पालन करने में जरा भी संकोच नहीं करती कि यह व्रत कितनी कठिन परीक्षा की घड़ी हो जाता है कि तीन दिन तक जिले कस्बे क्षेत्र में ही नहीं प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों की महिलाएं जीवित्पुत्रिका व्रत में लीन होकर बिना जल ग्रहण किए धैर्य के साथ इस पर्व को मनाती हैं।इस व्रत में उपवास रखने वाली महिलाएं बिना कुछ खाए पिए कठिन परीक्षा देने में वह पीछे नहीं रहती हैं।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।कहते है कि उत्तरा के गर्भ में पल रहे पांडव पुत्र की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्य कर्मों से उसे पुनर्जीवित किया था।तब से ही स्त्रियां अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला व्रत रखती है।इस व्रत के प्रभाव से भगवान श्रीकृष्ण व्रती स्त्रियों की संतानों की रक्षा करते हैं।माताओं द्वारा पुत्र के चिरंजीवी होने की कामना को लेकर मनाया जाने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत रविवार को परंपरागत रूप से मनाया गया।इस मौके पर व्रती माताओं ने निर्जला उपवास रखकर भगवान जीमूत वाहन की विधिवत पूजा अर्चना एवं जीवित्पुत्रिका व्रत कथा का नियमानुसार श्रवण किया।इसके लिए निजामाबाद के शिवाला घाट पर व्रती माताओं की भीड़ जुटी थी।कई स्थानों पर व्रतियों ने परंपरानुसार भगवान सूर्य को भी अर्घ्य अर्पित किया।ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने वाली माताओं के पुत्र दीर्घायु होते हैं।उनके जीवन में आने वाली सारी विपत्तियां टल जाती हैं।निर्जला उपवास के बाद महिलाओं द्वारा द्वारा सामूहिक रूप से जीवित्पुत्रिका व्रत कथा का श्रवण किया गया।शिवाला घाट पर मेले जैसा उत्सव रहा।सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रशासन की जबरदस्त व्यवस्था थी।