हाजी हजरत अब्दुल वहाब चरम पोश रह0 के सालाना उर्स के मौके पर हुआ फातेहा ख्वानी

पत्रकार हाजी आज़ाद के आवास पर शायरों ने औलिया-ए-कराम की में नातो मनकबत पेश की बख़्श दे ऐ मेरे अल्लाह मेरी उम्मत को, मेरे आका ने रो-रो के दुवा मांगी है: नेहाल हबीबी

 

भदोही। मोहल्ला कजियाना शरीफ स्थित हजरत हाजी अब्दुल वहाब चरम पोश रहमतुल्लाह अलैहे के 63वां सालाना उर्स के मौके पर पत्रकार हाजी आज़ाद खां बापू के आवास पर नातो मनकबत की महफ़िल सजाई गई जहां शायरों ने एक से बढ़ कर एक नातों मनकबत पढ़कर महफ़िल को खूब सजाया। इस हसीं मौके पर शायर नेहाल हबीबी ने पढ़ा कि मैं हुं बीमार मदीने की दवा मांगी है। गुम्बदे खजरा की पुर कैफ हवा मांगी है। बख़्श दे ऐ मेरे अल्लाह मेरी उम्मत को, मेरे आका ने रो-रो के दुआ मांगी है। शायर जावेद आसिम ने पढ़ा ऐ मेरे आका नजरे करम, दूर हो सारे रंजो अलम। साकी-ए-कौसर शाहे खुदा, महशहर में हैं नूरे खुदा, रख लीजिए हम सब का भरम। रुतबा खुदा ने ऐसा दिया, दीदे खुदा का तुमने किया, अर्शे बरीं हैं जेरे कदम। पढा तो पूरा मजमा झूम उठा। शायर फ़ैयाज़ भदोहवी ने पढ़ा करम जब आपका सरकार होगा, गुनहगारों का बेड़ा पार होगा। खुशी इस बात की है मुझको आका लहद आपका दीदार होगा। आप हसनी हैं हुसैनी ये मालूम हैं। क्या करूँ मै आपकी अजमत बयां अब्दुल वहाब पढा तो पूरा मजमा मोअत्तर हो गया। शायर कारी हाफिज आबिद हुसैन ने पढ़ा ये दिल इश्के नबी में गर मचल जाए तो अच्छा है। मोहम्मद कहते-कहते दम निकल जाए तो अच्छा है। नमाजे असर पढ़नी हैं अली मुश्किल बोले। मेरे सरकार गर सूरज निकल जाए तो अच्छा है। उसके बाद फातेहा हुआ लोगो मे तबर्रुकात को तकसीम किया गया।

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