मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के बचे हुए पदों पर पहले ही रोक लगा दी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में हाईस्कूल शिक्षक भर्ती के बचे हुए पदों पर पहले ही रोक लगा दी है। मामले पर बुधवार को एक बार फिर से सुनवाई हुई जिसमें कि एक दर्जन से अधिक याचिका पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने बताया कि हाई स्कूल शिक्षकों की जो भर्ती 2018 से संबंधित जो नियम है, उन नियमों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया था कि जो भर्ती नियम है, असमानताएं है, शिक्षक भर्ती पर जो क्राइटेरिया रखा गया है, उसमें संसोधन करे, इसके साथ ही याचिकार्ताओं को नियुक्ति दी जाए पर सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
दरअसल हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में उम्मीदवारों के सेकेंड डिवीजन क्राइटेरिया को लेकर बड़ा विरोधाभास था। शिक्षा विभाग ने 448 ऐसे उम्मीदवारों को सेकेंड डिवीजन मानकर भर्ती किया है, जिनके ग्रेजुएशन में मार्क्स 45 से 50% के अंदर हैं। दूसरी तरफ ऐसे कई उम्मीदवार हैं, जिन्हें थर्ड डिवीजन मानकर भर्ती नहीं किया गया है, जबकि ग्रेजुएशन में उनके भी मार्क्स 45 से 50% के बीच थे। ऐसे याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति नहीं दिए जाने के कारण करीब 16 याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि कुछ याचिकाकर्ता ऐसे है जिनकी मार्कशीट पर 47,48,49 प्रतिशत है, और मार्कशीट पर थर्ड डिवीजन लिख दिया गया और उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई, वहीं कई ऐसे अभ्यार्थी ऐसे है जिनकी मार्कशीट पर 45,46 प्रतिशत लिखा है, और उनकी मार्कशीट पर सेकंड डिविजन लिखा है, उन्हें नियुक्ति दे दी गई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) का भी नियम है कि इसमें श्रेणी नहीं बल्कि प्रतिशत अंकों में रहेगा। मामले पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया गया था। बुधवार को हुई सुनवाई मे राज्य सरकार ने अंडरटेकिंग देते हुए कहा गया है कि 23 जनवरी 2025 को कमेटी फाइनल डिसीजन लेते हुए भर्ती प्रक्रिया में संशोधन कर दिया जाएगा। इसी याचिका में दूसरा बिंदू यह भी था कि एससी,एसटी और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को परसेंटेज ऑफ मार्क्स में रिलेक्सेशन नहीं दिया गया था, उस पर भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्णय लेने के आदेश दिए है। बहरहाल मामले पर अब अगली सुनवाई 8 फरवरी को नियत की गई है।
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों के मुताबिक, उम्मीदवारों की एलिजिबिलिटी ग्रेजुएशन में सेकेंड डिवीजन तय की गई थी, लेकिन कई यूनिवर्सिटी 45 से 50% अंक लाने वालों को सेकेंड डिवीजन, तो कई यूनिवर्सिटी थर्ड डिवीजन मानती हैं। ऐसे में जब शिक्षा विभाग ने अंकों की जगह सिर्फ मार्कशीट में सेकंड या थर्ड डिवीजन देखकर भर्तियां की, तो पूरी भर्ती प्रक्रिया सवालों में आ गई। बता दें, हाईस्कूल शिक्षकों के 18 हजार में से 6 हजारों पदों पर भर्तियां होना बाकी हैं।
जबलपुर से वाजिद खान की रिपोर्ट