अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया शब-ए-बराअत
मुसलमानों ने मस्जिदों में इबादत के साथ कब्रिस्तानों में जाकर पुरखों को किया याद पूरी रात इबादत कर सभी ने अपने गुनाहों की मांगी माफी, तौबा व अस्तगफार किया

रिपोर्ट अशरफ संजरी
भदोही। शब-ए-बराअत का त्योहार गुरुवार को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। मुसलमानों ने अल्लाह की हम्द बयां कर रातभर दुआ मांगी। पैगम्बर-ए-इस्लाम पर दरूदो-सलाम का नजराना पेश किया गया। जैसे-जैसे रात परवान चढ़ती गई। बंदों की आंखे छलकने लगी। रो-रो कर बंदा-ए-खुदा गुनाहों की निजात की रात में तौबा व अस्तगफार करते रहे। नफिल नमाज, तस्बीह व कुरआन की तिलावत पूरी रात होती रही।
मुसलमानों ने इबादत के साथ पुरखों को याद भी किया। वलियों के आस्ताने पर हाजिरी दी। शाम की नमाज पढ़कर लोग इबादतों में जुट गए। जिसका सिलसिला शुक्रवार की सुबह तक जारी रहा। हजरत ओवैस करनी रहमतुल्लाह अलैह और पुर्खों के नाम पर लजीज व्यंजनों व विविध प्रकार के हलुआ पर फातिहा दिलाई गई। गरीबों में खाना व हलुआ बांटा गया। सदका खैरात भी किए गए। इस मुबारक रात में लोगों ने गुस्ल (स्नान) किया। अच्छे कपड़े पहने, वास्ते इबादत के सूरमा लगाया। मिस्वाक किया और इत्र लगाया। पुरखों की मगफिरत के लिए दुआ की। बीमार का हाल चाल जाना। तहज्जुद (देर रात की) की नमाज पढ़ी। नफिल नमाज ज्यादा पढ़ी। दरूद व सलाम की कसरत की। सूरः यासीन शरीफ की तिलावत कसरत से की। खुदा की तस्बीह वगैरह के जरिए पूरी रात इबादत की। मस्जिद, घरों में रातभर इबादतें होती रही। पुरुषों ने मस्जिदों मे व महिलाओं ने घरों में खैर व बरकत की दुआ मांगी। मस्जिद, आस्तानों व घरों में कुरआन की तिलावत की गई। तहरीक दावते इस्लामी द्वारा नगर के अजीमुल्लाह चौराहे पर स्थित गौसिया मस्जिद के बगल में इज्तेमा
का एहतमाम किया गया। जहां पर सलातुल तस्बीह की नमाज पढ़ी गई। मुस्लिम बहुल इलाकों में रातभर मेले जैसा माहौल रहा। वहीं वलियों के आस्ताने और कब्रिस्तान जियारत करने वालों से गुलजार नजर आए। इस दौरान लोगों ने कुत्ब-ए-भदोही हजरत सैयद मीर उबैदुल्लाह शाह रह., हजरत जाहिद शाह बाबा, हजरत नाबीना शाह बाबा, हजरत आलम शहीद बाबा, शहर वर्दी हजरत दाता कल्लन शाह रह., हजरत तसला शाह बाबा, हज़रत जानू शहीद बाबा, हजरत लाइन शहीद बाबा, हजरत मीरा शहीद बाबा, हजरत गयासुद्दीन बाबा, हजरत हाजी अब्दुल वहाब चरम पोश रह., हजरत इनायत शहीद बाबा, हजरत गलबले शहीद बाबा, हजरत हकीम सकिम बाबा के अस्तानों पर हाजिरी देकर अल्लाह से अपने लिए भलाई की दुआ मांगी। अकीदतमंदों ने कब्रिस्तानों पर जाकर अपने पूर्वजों के लिए फातेहा पढ़कर उनके बख्शिश की दुआ मांगी। कब्रिस्तानों पर यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। अकीदतमंदों को किसी तरह के दुश्वारी न हो इसके लिए खास इंतजाम किए गए। मस्जिदों, आस्तानों, कब्रिस्तानों पर रोशनी का उचित इंतजाम रहा। मस्जिदों, आस्तानों को झालरों के जरिए सजाया गया था। जगह-जगह लोगों के लिए चाय व पानी के स्टाल लगाए गए थे। सुबह फज्र की नमाज के बाद यह सिलसिला खत्म हुआ। अकीदतमंदों ने सुबह सादिक से पहले सेहरी खा कर अगले दिन का रोजा रखा।
चित्र परिचय:



