आजमगढ़:रानी की सराय का ऐतिहासिक मेला धूमधाम से संपन्न,आज होगा भगवान राम का राज्याभिषेक
रानी की सराय/आजमगढ़:कस्बे का दुर्गा पूजा मेला बृहस्पतिवार को धूमधाम से संपन्न हुआ। मेले को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने बड़े वाहनों को एक दिन पहले से ही रूट डायवर्ट कर दिया है। प्रतिबंध के बावजूद भी बाइक मेले में प्रवेश करते रहे मेले में प्रवेश करते रहे।वही मेले में राम जानकी की झांकी निकाली गई।
रानी की सराय का ऐतिहासिक मेला पूर्वांचल में विशिष्ट स्थान रखता है वहीं रानी की सराय का मेला विजयदशमी के तीसरे दिन लगता है। कस्बे मे नवयुवक मंगल दल पानी टंकी, आजाद दल ,नवयुवक संघ, नवयुवक शंकर दल, सम्राट स्पोर्टिंग क्लब ,शक्ति दल, प्रभात तरुण जल भारतीय युवक संघ, आजाद हिंद कमेटी पूजा कमेटियों ने पूजा पंडालों में देवी प्रतिमाओं को रखकर की श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिये है। वहीं बुधवार से ही कस्बे में बड़े वाहनों का प्रवेश वर्जित हो गया है। प्रतिबंध के बावजूद भी बाइक का प्रवेश होता रहा।
रामलीला समिति ने निकाली राम जानकी की झांकी, शुक्रवार को राजगद्दी होगी
रानी की सराय। कस्बे में श्री रामलीला एवं मेला सेवा समिति की तरफ से राम जानकी की झांकी निकाली गई। यह झांकी रायपुर गांव से होते हुए पूरे कस्बे का भ्रमण करते हुए रामलीला मैदान में पहुंची। रामलीला मैदान में झांकी में बने राम, लक्ष्मण, सीता ,हनुमान को समिति के लोगों ने विधि विधान से पूजन अर्चन किया । राम रावण युद्ध, लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध का मंचन किया गया। वही रावण का दहन रुदरी रोड स्थित एक महाविद्यालय पर किया गया जहां राम के द्वारा रावण का दहन होते ही श्री राम नाम की जयकारे से वातावरण भक्ति में हो गया।बच्चों ने झूलो का आनंद लिया।रानी की सराय रानी की सराय कस्बे का दुर्गा पूजा मैला आजमगढ़ वाराणसी मुख्य मार्ग पर लगता है। कस्बे में लगने वाले मेले का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है वही बच्चों ने जंपिंग झूलो, जलेबी और खिलौने आदि का खूब आनंद लिया।एक दिन पूर्व से जगह घेरने के लिए होती रही किचकिच।रानी की सराय।रानी की सराय मेला का बुजुर्गों बच्चों के अलावा दुकानदारों को भी बेसब्री से इंतजार होता है। रानी की सराय मेले में स्थानीय दुकानदारों के अलावा अन्य जनपदों के भी दुकानदार मेले में अपने दुकानों को कई वर्षों से लगाते हैं वहीं स्थानीय दुकानदारों बाहरी दुकानदारों से हमेशा कीचकीच होती रहती है । कोई दुकानदार खाली स्थान पर अपना जगह को घेरता तो कोई हटा देता था। कभी कभी तो मारपीट की भी नौबत आ जाती थी।