बैतूल:शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर , मिल रहा गरीबों को चावल, आखिर कहां जा रहा है गरीबों का गेहूं

मध्य प्रदेश बैतूल से शेख इकबाल की खास रिपोर्ट

विगत क.ई सालों से शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर गरीबी रेखा के राशन कार्ड पर मिलने वाला गेहूं के लाले पड़ गए हैं। गरीबी रेखा के राशन कार्डों पर मिलने वाला गेहूं, अब गरीबों के कार्ड से गायब होकर ,इसकी भरपाई मात्रा चावल ही चावल देकर की जा रही है। अगर देखा जाए तो पूरा भारत देश, गेहूं उत्पादन का निर्यातक केंद्र बिंदु है? यहां पर डंपर गेहूं की पैदावार होती है ,ऐसे में गेहूं का नहीं मिलना ,आम गरीब लोगों और राशन कार्ड धारी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जब भी गरीब राशन कार्ड धारी उचित मूल्य की दुकान पर अनाज लेने जाते हैं तो उन्हें मात्र खराब चावल दिया जा रहा हैं। इसकी जगह पर पहले मोटा अनाज ,चना, बाजरा, मक्का आदि दिया जाता था। जिससे गरीबों की पूर्ति हो जाती थी। परंतु अब मोटा अनाज भी ना देकर, मात्र चावल ही परोसा जा रहा है, इस तरह से गरीबों के लिए चलाई जा रही,अंत्योदय खाद्य योजना की हवा निकल गई है। भले ही भाजपा सरकार गरीब लोगों की भलाई करने का दम भरती है ,परंतु यह वास्तविकता से बहुत परे हैं। पहले से ही बहुत कम लोगों के गरीबी रेखा के राशन कार्ड बनाए गए थे । जिसमें की अधिकांश गरीब लोगो के नाम , छोड़ दिए गए थे। अंत्योदय खाद्य योजना पहले भी , ऊट के मुंह में जीरा, साबित हो रही थी । परंतु वर्तमान में,यह योजना,पूरी तरह से ध्वस्त हो गई हैं? ऐसा प्रतीत होता है कि, गरीबों का अनाज की ,भारी कालाबाजारी की जा रही है? इसलिए गरीबों का अनाज गरीबों की थाली से नदारत है?

 

मात्रा चावल मिलाने पर,गरीब कार्ड धारीयो में
रोश… इस तरह से शासकीय उचित मूल्य दुकानों पर, गरीबों को सस्ता राशन नहीं मिलने से, और मात्र हर महीने उन्हें मोटा चावल देने से ,समस्त गरीब कार्ड धारी में भारी रोश व्याप्त है? गरीब राशन कार्ड धारी ने बताया कि ,सरकार ने सबसे पहले राशन कार्ड पर मिलने वाला मिट्टी का तेल गायब कर दिया ? उसके बाद धीरे-धीरे गरीबों को गेहूं देना बंद कर दिया है? इस प्रकार से गरीब लोग आंखीर चावल कब तक खाकर अपना समय गुजारेंगे ? थोड़ा बहुत गेहूं मिलता था ,उससे गुजारा चल जाता था ,परंतु गेहूं देना बिल्कुल ही बंद कर दिया गया है, जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है? एक तरफ तो भाजपा सरकार, अंत्योदय खाद्य योजना चलाकर गरीबों पर एहसान करने का ढिंढोरा पीट रही है ? वहीं पर दूसरी तरफ ,अब गरीबों का सस्ता अनाज , गरीबों की थाली से नदारत कर दिया गया है?.. तो गेहूं आखिर गया कहां*?
अब सवाल यह उठता है कि, संपूर्ण भारत में गेहूं का बंपर उत्पादन हो रहा है । यहां तक की भारत का गेहूं बाहर निर्यात भी किया जा रहा है। इतने बंपर उत्पादन होने के बाद भी, शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर गेहूं आखिर क्यों नहीं मिल पा रहा है? यह बात एक प्रश्न खड़ा कर रही है। जन चर्चा यह भी है कि, शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से गेहूं की बहुत बड़ी कालाबाजारी की जा रही है ? जिससे गरीबों को मिलने वाले गेहूं का भारी अभाव बना हुआ है?

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