आजमगढ़:ईमानदारी एवं सादगी के प्रतीक थे पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव,23 जून 1977 से 15 फरवरी 1979 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे

निधैलीकला, शिकोहाबाद, फूलपुर से विधायक के साथ ही राज्यसभा सांसद भी रहे,5 साल तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल के पद पर भी रहे रामनरेश यादव

रिपोर्ट:जितेंद्र शुक्ला

माहुल/आजमगढ़:उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल स्व रामरनेश यादव की 97वीं जयंती मंगलवार को सादगी के साथ मनायी जाएगी। मुख्य कार्यक्रम उनके पैतृक आवास आंधीपुर में होगा।
स्व रामनरेश यादव का जन्म फूलपुर तहसील क्षेत्र के आंधीपुर गांव में एक साधारण किसान परिवार में 01जुलाई 1928 को हुआ था। आपके पिता मुंशी गया प्रसाद यादव प्राथमिक पाठशाला अंबारी में शिक्षक के रूप में तैनात रहे। इनकी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला अंबारी में हुई। इमरजेंसी के दौरान वे मीसा और डीआईआर के अधीन जून 1975 से फरवरी 1977 तक आजमगढ़ जेल और केंद्रीय जेल नैनी, इलाहाबाद में बंद रहे। जनता पार्टी के झंडे के नीचे 1977 में आजमगढ़ लाेकसभा से सांसद बने। इसके बाद 23 जून 1977 को यूपी के मुख्यमंत्री बनाये गये। मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा से इस्तीफा देकर निधौलीकला एटा से विधानसभा सदस्य का चुनाव जीते। मुख्यमंत्री रहते हुए इन्होंने अनेकाें जनकल्याणकारी योजनाएं चलाईं। वर्ष 1977 के चुनाव के बाद हुए उपचुनाव में रामनरेश जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गए। एटा के विधान सभा क्षेत्र निधौलीकला से विधायक रहे। राम नरेश यादव 77 के दशक में पूर्वांचल के गांधी कहे जाते थे। अपनी इसी ईमानदारी के चलते वह चौधरी चरण सिंह के करीबियों में एक थे। 1977 में वह जनता पार्टी के टिकट से आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस के दिग्गज नेता चंद्र जीत यादव को पौने तीन लाख वोटों से हराया था। कांग्रेस पार्टी की सरकार में 26 अगस्त 2011 को मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। 7 सितंबर 2016 तक आप मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे। 22 नवंबर 2016 को 89 वर्ष की उम्र में पीजीआई लखनऊ में इलाज के दौरान आपने अंतिम सांस ली। उनके छोटे भाई डॉ सुरेश यादव ने बताया कि मंगलवार सुबह 8 बजे घर पर सादगी के साथ नेताजी की जयंती मनायी जाएगी।।

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