जबलपुर में ट्रैफिक जाम और नियम उल्लंघन पर नियंत्रण फेल, कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
Control over traffic jam and rule violations fails in Jabalpur, court seeks report
जबलपुर शहर में 28 करोड़ की लागत से चौराहों पर सिग्नल और कैमरे लगाए गए, जो कि कई माह से बंद पड़े है, ऐसे में ना सिर्फ यातायात की व्यवस्था बदहाल हो गई है, बल्कि सड़क में जो भी हलचल होती थी, वह भी कैद नहीं हो रही है। सड़क पर ट्रैफिक रुल तोड़ते भी देख रहे हैं, पर उनकी हरकत कहीं भी रिकॉर्ड नहीं हो रही है, लिहाजा इसको लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, नगरीय प्रशासन विभाग सहित अन्य को नोटिस जारी किया है। मामले पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद तय की गई है। नागरिक उपभोक्ता मंच ने जनहित याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि जबलपुर शहर में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी सिग्नल बंद पड़े है, कैमरे बंद है, जिस वजह यातायात व्यवस्था तो बिगड़ी है, इसके साथ ही ई-चालान जो होते थे, वह भी नहीं हो रहे है, जिसके कारण शासन का आर्थिक क्षति हो रही है। इसके अलावा हर ट्रैफिक चौराहे पर जाम की स्थिति बन रही है। कोई भी चौराहा पार करना होता है, तो 20 से 25 मिनट लगते है। याचिकाकर्ता डाॅ पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने याचिका में बताया है कि शहर की तीन एजेंसियां यातायात विभाग, नगर निगम और स्मार्ट सिटी एक दूसरे पर इस व्यवस्था का ठीकरा फोड़ रही है, और कोई भी आगे आकर कार्रवाई नहीं कर रहा है।मंगलवार को हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन को निर्देश दिए है कि वो अपना जवाब जल्द से जल्द पेश करे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने अगली सुनवाई 27 जुलाई 2025 को होगी। बता दे कि महानगर जबलपुर के चौराहों पर लगे कैमरे बीते करीब 9 माह से सिर्फ शोपीस बने हुए हैं, ये इसलिए, क्योंकि सड़क में जो भी हलचल कैद कर रहे हैं, सड़क पर जिसे भी ट्रैफिक रुल तोड़ते देख रहे हैं, वो फुटेज कहीं रिकॉर्ड ही नहीं हो रहे है। सिग्नल और कैमरे बंद होने से वाहन चलाने वालों को चालान का खौफ नहीं है। बिगड़ते ट्रैफिक से पुलिस भी परेशान है। वर्तमान में कभी-कभी चौराहों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी जरूर खड़े हुए नजर आ जाते है।
जबलपुर से वाजिद खान की रिपोर्ट