मऊ:अपना देश छोड़कर कर्बला चले हुसैन,एक एक अज़ीजो से मिलते हैं गले हुसैन

रिपोर्ट:अशोक श्रीवास्तव

घोसी/मऊ।घोसी में निकला अमारी एवं दुलदुल का जुलूस
घोसीनगर के बड़ागाँव नीमतले स्थित ज़ाफ़री अज़ाखाने से अमारी एवं दुलदुल व अलम का जुलूस निकाला गया। ये जुलूस अपने क़दीमी रास्ते से होते हुए नीमतले बड़े फाटक सदर इमाम बाड़ा एन एच 29 पर जाकर देर शाम को समाप्त हुआ। ये वह जुलूस है जो 28 रजब सन 60 हिजरी को पैग़म्बर मुहम्मद के नवासे हज़रत इमाम हुसैन ने यज़ीद के जुल्म सितम से तंग आकर अपने परिवार सहित अपने कुछ साथियो के साथ मदीने को छोड़ने पर मजबूर हो गए। और अल्लाह के दीन को बचाने अपना घर बार छोड़ कर कर्बला को जाने के लिए तैयार हो गए और अपने नाना पैग़म्बर मुहम्मद की शरीयत को बचाने मदीने से अलविदा होने लगे। पहले जन्नतुल बक़ी अपनी माँ फ़ातेमा ज़हरा की कब्र पर गए और अपनी माँ से रो रो कर कहने लगे ऐ अम्मा आप का हुसैन अब घर छोड़ कर जारहा है अब ये मदीना रहने के काबिल नही रहा ऐ अम्मा खुदा के दिन में यज़ीद तब्दीली करना चाहता है। शरीयते मुहम्मदी को तबदील करना चाहता है इस लिए मै अल्लाह का दिन बचाने के लिए कर्बला जारहा हु फिर अपने भाई इमाम हसन की कब्र पर गए और भाई से कहा भइया अब आपका भाई मजबूर है उसके बाद अपने नाना पैग़म्बर मुहम्मद की कब्र पर गए और कहा ऐ नाना आपकी उम्मत ने हमको मदीने में रहने नही दिया। अब आपका हुसैन अपने वादे को निभाने जा रहा है। आप की शरीयत को बचाने जा रहा है। यह कह कर हुसैन माँ की कब्र भाई की लहद नाना का मज़ार छोड़ कर जते हुए कहते जारहे है अम्मा अब आप की कब्र पर शमा कौन जलायेगा उसी की याद में आज के दिन को याद किया जाता है।इसी कड़ी में मौलाना ओरूज़ जौनपुरी मौलाना वशी असग़र, मौलाना , मौलाना कैसर अब्बास, मौलाना सैय्यद अली फखरी, मौलाना काज़िम मेंहदी, ऊरूज़ जौनपुरी, ने तकरीर में कहा कि इमाम हुसैन ने इस्लाम को बचाने के लिए अपना पुरा परिवार सहित अपने भाई अब्बास व अपने बेटे अली अकबर यहां तक की अपने छ: महीने के बच्चे को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दिया। लेकिन जुल्म के आगे अपना सर नही झुकाया इस के बाद अंजुमनों का दौर आया जिसमें मुकामी व बाहरी अंजुमनों ने नौहाखानी किया। जनपद के कोपागंज से आई अंजुमन इमामिया ने छूटता है वतन सिब्ते रसूले दो जहाँ से रोने की सदा आती है हर एक मकान से महशर है बपा फ़ातेमा सोगरा के बया से।।नौहा पेश कर माहौल को गमगीन बना दिया।इस अवसर पर मौलाना नसीमुल हसन,मौलाना मोजाहीर हुसैन, मौलाना अहमद अब्बास, मौलाना सैयद अली फ़ख़री, सैयद असगर इमाम,सैय्यद मुअज़्ज़म ज़ाफरी, वाजीद अली,आज़म हुसैन,फ़िरोज़ आबिद, शमीम हैदर, नूर मोहम्मद, सुहैल हुसैन, मासूम मोहम्मद, अतहरअली,कल्बे मुहम्मद, अनीस असग़र अहमद आदि मौजुद रहे।

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