श्री सीताराम विवाह की कथा सुन भाव-विभोर हुए, श्रद्धालु।
विनय मिश्र ,जिला संवाददाता।
बरहज ,देवरिया।
नकदह फुलवरिया (भलुअनी), भलुवनी गांव में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के तीसरे दिन का आयोजन अत्यंत भक्ति और श्रद्धा के वातावरण में संपन्न हुआ। कथा प्रवक्ता श्री कृष्णकांता जी महाराज ने इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का दिव्य प्रसंग सुनाया, जिसे सुनकर वहां उपस्थित माताएं और श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। कथा स्थल पर श्रद्धालु भगवान श्रीराम के विवाह की महिमा में डूबे हुए दिखे, और पूरा वातावरण भक्ति के रस में सराबोर हो गया।
श्री कृष्णकांता जी महाराज ने बताया कि जब भगवान श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से शिवधनुष को उठाया और देखते ही देखते उसे भंग कर दिया, तब पूरे जनकपुर में हर्ष की लहर दौड़ गई। सभी देवता और ऋषि-मुनि जयघोष करने लगे। जनकपुरवासी आनंद से झूम उठे, लेकिन तभी वहाँ भगवान परशुराम का आगमन हुआ।
भगवान परशुराम ने जैसे ही शिवधनुष के भंग होने का समाचार सुना, उनका क्रोध भड़क उठा। उन्होंने इसे अपने आराध्य भगवान शंकर का अपमान समझा और अत्यंत रोष में बोले –
“कौन ऐसा अभिमानी पुरुष है, जिसने मेरे प्रभु शंकर के धनुष को तोड़ने का साहस किया?”
परशुराम का भयंकर रूप देखकर सभा में सन्नाटा छा गया। लेकिन तभी लक्ष्मण जी ने दृढ़ता के साथ उत्तर दिया –
“हे भगवन्! जो धनुष पुराना और जर्जर हो चुका था, वह अपने समय पर टूट गया, इसमें इतना क्रोध करने की क्या आवश्यकता है?”
लक्ष्मण के वचनों से परशुराम का क्रोध और अधिक बढ़ गया, और वे लक्ष्मण पर क्रोधित हो उठे। लेकिन तभी भगवान श्रीराम ने अत्यंत विनम्रता से परशुराम जी को शांत किया और उनकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए अपनी दिव्यता प्रकट की। जब परशुराम ने भगवान श्रीराम की वास्तविकता को पहचाना, तब उन्होंने प्रभु को प्रणाम कर आशीर्वाद दिया और वहां से प्रस्थान किया।
इस भव्य आयोजन में क्षेत्र के विशिष्ट जन सहित उपेंद्र तिवारी जी धर्मेंद्र कुमार पाण्डेय जी रोशन तिवारी जी गोलू तिवारी जी ज्ञान प्रकाश तिवारी जी प्रकाश तिवारी जी मोनू बाबा जी आदित्य मिश्रा जी त्रिपुरेश तिवारी जी सुधाकर तिवारी जी रामसेवक यादव घनश्याम यादव प्रमोद कुमार शुभम् तिवारी जी श्याम सुंदर तिवारी जी आनंद तिवारी जी शिवदयाल तिवारी जी धर्मेंद्र चौरसिया जी कमलेश चौरसिया जी दीपक यादव और बड़ी संख्या में भक्तगण एवं अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने इस दिव्य कथा का आनंद लिया।