रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को फर्जी बताते हुए भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने जमकर प्रदर्शन किया

जबलपुर:रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को फर्जी बताते हुए भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ने आज जमकर प्रदर्शन किया। एनएसयूआई ने कुलपति को नोट देते हुए मांग की है कि ये पैसे लेकर आप अपने पद को छोड़ दे। हालांकि एनएसयूआई के द्वारा दिए गए ये नोट नकली थे। करीब आधे घंटे तक कुलपति के सामने प्रदर्शन करते हुए एनएसयूआई ने चेतावनी दी है कि अगर दो 48 घंटे के भीतर कुलपति अपने पद से इस्तीफा नहीं देते तो विश्वविद्यालय में उग्र आंदोलन किया जाएगा। इधर एनएसयूआई के प्रदर्शन पर कुलपति ने जवाब देते हुए कहा कि प्रदर्शन करने वालों को ये जानकारी ही नहीं है, कि उनकी नियुक्ति यूजीसी से हुई है, पहले वहां जाकर पता करे, फिर नियुक्ति पर सवाल खड़े करे।

मीटिंग ले रहे थे वीसी-धमक पड़े छात्र
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राजेश वर्मा गुरुवार को प्रोफेसरों के साथ बैठक ले रहे थे, उसी दौरान अचानक ही एनएसयूआई के छात्र आ धमके। बैठक के बीच प्रदर्शन करते हुए एनएसयूआई ने सूटकेस खोला और नकली नोट उनके सामने रख दिए। एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने कुलपति की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए और कहा कि ये डाक्टर राजेश वर्मा इस पद के लायक नहीं है। उन्होंने कहा कि ये तो प्रोफेसर बनने के लायक नहीं है, जो कि कुलपति बन गए है। जिला अध्यक्ष ने कहा कि कुलपति बनने के लिए 10 साल का अनुभव होना, या फिर रिसर्च स्कालर होना जरुरी होता है। आरोप है कि 2008 में पीएचडी करने के बाद 2009 में ये प्रोफेसर बन गए, सिर्फ तीन माह के अनुभव वाले प्रोफेसर आखिर कैसे कुलपति बन गए ये बड़ा सवाल है।

48 घंटे का अल्टीमेटम दिया
एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने आरोप लगाया कि कुलपति ने पैसे देकर ये पद हासिल किया है, जो कि संस्कारधानी को शर्मसार करता है। उन्होंने बताया कि आज किए गए प्रदर्शन के बाद उनके पद से इस्तीफा की मांग की गई है, साथ ही चेतावनी दी है कि अगर 48 घंटे के भीतर उच्च शिक्षा विभाग इस मामले में ध्यान नहीं देता है तो फिर एनएसयूआई विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करेगा। जिला अध्यक्ष सचिन रजक का कहना है कि कुलपति की नियुक्ति को लेकर हमारे पास कई अहम दस्तावेज है जो कि जल्द ही पत्रकार वार्ता के जरिए सबके सामने लाए जांएगे।

आधे घंटे तक चला हंगामा
दरअसल विश्वविद्यालय के सभी विभाग अध्यक्ष की कुलपति बैठक ले रहे थे, इसी दौरान अचानक ही एनएसयूआई के कार्यकर्ता हाॅल में पहुंच गए और प्रदर्शन करने लगे। इस बीच छात्रों ने ब्रीफकेस खोला और नकली नोट कुलपति के टेबल पर रख दिए। छात्रों के इस तरह से किए गए हंगामे को देखते हुए वहां बैठे टीचर भी भौचक रहे गए। छात्रों ने जबरन कुलपति को नोट देने की कोशिश भी की।

नियुक्ति गलत है तो यूजीसी से बात करो
एनएसयूआई के द्वारा लगाए गए आरोपों का कुलपति डॉक्टर राजेश वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि मेरी कुलपति के लिए नियुक्ति शासकीय अधिनियम के तहत की गई है, जिसे कि राज्यपाल जी ने किया है, अगर उस विषय में किसी को कोई भी प्रश्न करना है तो उस नियम के तहत बात की जाए, जिससे कि आरोप लगाए जा रहे है। कुलपति ने कहा एनएसयूआई का ये प्रदर्शन अगर किसी के कहने पर किया जा रहा है, तो उससे ये पूछना चाहिए कि नियम क्या कहता है। उन्होंने कहा कि नियम यूजीसी रेगुलेशन एक्ट से बनता है, वो इसे पढ़े और अगर कोई शंका हो तो विभाग प्रमुख प्रोफेसर से बात कर सकते है।

करेंसी का किया है अपमान
कुलपति डॉक्टर राजेश वर्मा ने कहा कि अगर कुछ गलत लगता है जबलपुर में हाईकोर्ट है, राज्यपाल कार्यालय है, वहां जाकर शिकायत कर सकते है, इस तरह का प्रदर्शन करना सही नहीं है। वीसी ने कहा कि जिस नियम को लेकर मेरी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए जा रहे है, उसकी इन छात्रों को जानकारी ही नहीं है। जो इन छात्रों को यह बता रहा है, वह इसका अध्ययन करें। यूजीसी की वेबसाइट पर जाकर देख सकते है कि क्या सही है, क्या गलत। कुलपति ने कहा कि जिस तरह से भारतीय मुद्रा भले ही वह नकली है, इसका अपमान करना सही नहीं है। इस पर प्रशासनिक अधिकारियों से बात की जाएगी।

जबलपुर से वाजिद खान की रिपोर्ट

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