कृष्ण सुदामा की भावपूर्ण मित्रता का किया वर्णन

Deoria,Described the emotional friendship of Krishna and Sudama

विनय मिश्र ,जिला संवाददाता।
बरहज देवरिया
बरहज नगर में त्यागी जी के हनुमान मंदिर पर चल रहे श्रीमद् भगवत कथा के कानपुर से पधारी हुई साध्वी सुश्री निलेश शास्त्री ने, श्रद्धालुओं को कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण और सुदामा बाल सखा थे एक साथ दोनों ने संदीपनी आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण किया आगे चलकर बिप्र सुदामा और भगवान कृष्ण के मार्ग अलग हो गए लेकिन सुदामा नित्य अपने मित्र का चिंतन करते रहते थे एक तरफ भगवान कृष्ण जहां द्वारकाधीश वहीं दूसरी तरफ उनके मित्र सुदामा अत्यंत गरीब सुदामा के गृहस्त जीवन में बड़ा ही संकट मित्र का चिंतन तो करते थे लेकिन मित्र से कभी मांगने की इच्छा नहीं रखी धर्म पत्नी सुशीला के बहुत कहने के बाद एक मुट्ठी चावल लेकर अपने मित्र के वहां गए भगवान कृष्ण ने अपने आंख के आंसुओं से सुदामा के पग पाखरे और सुशीला दिए सुशीला द्वारा दिए गए चावल को दो मुट्ठी खा लिया और अपने मित्र सुदामा को दो लोक दे दिया, तीसरी मुट्ठी खाने ही वाले थे कि कमला ने भगवान का हाथ पकड़ लिया कहां प्रभु अपने मित्र को जब तीनों लोग दे देंगे तो हम लोग कहां रहेंगे भगवान कृष्ण ने कहा तुम्हारे मन में इस बात की शंका है कि हम कहां रहेंगे हम एक लोग का और निर्माण करने में लेकिन मित्र के लिए सर्वस्व समर्पित कर देंगे। रामचरितमानस में भी मित्र धर्म की चर्चा आई है पूज्यपद गोस्वामी जी ने लिखा कि जेन मित्र दुख हो ही दुखारी, तिनही विलोकित पातक भारी।। आगे उन्होंने कहा कि मित्र का दुख सुमेर पर्वत के समान मित्र जब कष्ट में हो तो उसका पूरा सहयोग करना चाहिए। कथा के दौरान हनुमान मंदिर के मंहत श्री 1008 के श्री मारूति जी महाराज उर्फ त्यागी बाबा, सीमा शुक्ला, राम आशीष यादव, रामाशंकर यादव, रामायण यादव, उमेश चंद चौरसिया, सोनू भारद्वाज, चंद्रभान तिवारी, रमाशंकर, श्याम सुंदर दास, प्रभाकर शुक्ला सीमा देवी ,रजवंती देवी, कुसुम ,सरिता देवी, बदामी देवी, सहित नगर एवं क्षेत्र के सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे।

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