परंपराएँ ही हमारी पहचान हैं” – गणेश चतुर्थी पर बोलीं रिन्ही सुबरवाल

 

ज्योतिषी, क्रिस्टल हीलर, कोरियोग्राफर, न्यूमरोलॉजिस्ट और टैरो कार्ड रीडर रिन्ही सुबरवाल का गणेश चतुर्थी से गहरा जुड़ाव है। उनके लिए भगवान गणेश हमेशा विघ्नहर्ता रहे हैं और यह विश्वास उनके जीवन में बहुत मायने रखता है।

 

रिन्ही कहती हैं, “जब भी बप्पा आते हैं, हम यही प्रार्थना करते हैं कि वे हमारी बाधाएँ दूर करें और हमें शांति से जीने दें।”

 

वह बताती हैं कि उनके घर पर गणपति की मूर्ति नहीं लाई जाती, बल्कि उनकी अकादमी में बप्पा की स्थापना होती है। वहाँ पाँच दिन तक पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा होती है। “हम पंडालों में भी जाते हैं क्योंकि हमें बप्पा के अलग-अलग रूप देखना बहुत अच्छा लगता है,” वह कहती हैं।

 

इस साल का त्यौहार रिन्ही के लिए थोड़ा कठिन है क्योंकि उनकी दादी, मंजुला दास गुप्ता, अब नहीं रहीं। वे हमेशा सबसे ज्यादा उत्साहित रहती थीं और पूरे परिवार को त्योहारों से जोड़कर रखती थीं। रिन्ही भावुक होकर कहती हैं, “दादीजी की वजह से हम हर त्यौहार बहुत खुशी से मनाते थे। इस बार उनके बिना मनाना मानसिक रूप से बहुत भारी होगा। इसलिए हम इस बार सादगी से ही त्योहार मनाएँगे।”

 

रिन्ही को सुकून इस बात से है कि उनके बच्चे, युवान और अंगद, छोटी उम्र से ही भक्ति और मंत्रजाप में रुचि रखते हैं। “मेरे बच्चे भी बप्पा की पूजा करते हैं और मंत्र बोलते हैं। मैं चाहती हूँ कि हर माता-पिता अपने बच्चों में ऐसी परंपराएँ और संस्कार डालें ताकि हमारी संस्कृति आगे भी बनी रहे,” वह बताती हैं।

 

जहाँ आजकल कई लोग त्योहारों को आधुनिक तरीके से मनाना पसंद करते हैं, वहीं रिन्ही परंपराओं को ही अपनाना चाहती हैं। वह कहती हैं, “मैं किसी आधुनिक रूप में त्योहार नहीं मनाना चाहती। हम पारंपरिक लोग हैं। मेरी एक ही प्रार्थना है कि बप्पा मेरी दादी की आत्मा को शांति दें। एक हीलर होने के नाते मैं पुनर्जन्म में विश्वास करती हूँ और जानती हूँ कि दादीजी फिर हमारे पास लौटकर आएँगी। बस यही चाहती हूँ कि उनकी यह यात्रा शांत और सुगम हो।”

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