Azamgarh :मनरेगा में घोटाला: अजमतगढ़ ब्लॉक में मरे हुए लोगों से कराई मजदूरी, लाखों का खेल

मनरेगा में घोटाला: अजमतगढ़ ब्लॉक में मरे हुए लोगों से कराई मजदूरी, लाखों का खेल

अब गिरी गाज प्रधान का खाता हुआ फ्रिज छीने अधिकार
संवाददाता – जितेंद्र यादव
जीयनपुर/ आज़मगढ़ क्या मरने के बाद भी मजदूरी संभव है?” – शायद नहीं, लेकिन अजमतगढ़ ब्लॉक के अफसरों और कर्मचारियों ने ग्राम प्रधान की मिलीभगत से सरकारी कागज़ों में यह कमाल कर दिखाया! दाऊदपुर ग्राम पंचायत में मरे हुए मजदूरों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर लाखों रुपये हड़प लिए गए। इस घोटाले में ग्राम प्रधान श्रीमती राधा देवी तो फंसी ही हैं, लेकिन असली खेल में पर्दे के पीछे  ब्लॉक कार्यालय में बैठने वाले बाबुओं और अफसरों का भी कम योगदान नहीं है, जिन्होंने नकली कागज़ों पर मुहर लगाकर सरकारी खजाने को लूटा।

*कैसे हुआ ये घोटाला?*
*मरे हुए मजदूरों की हाजिरी, पेमेंट भी जारी!*

• वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में तीन मृत मजदूरों के नाम पर 77 फर्जी हाजिरी भरी गई और ₹15,561 का भुगतान कर दिया गया।

• ब्लॉक कार्यालय के अधिकारियों ने यह सारा डेटा मनरेगा के ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया, यानी पूरी मिलीभगत से खेल हुआ!
*डुप्लीकेट जॉब कार्ड स्कैम – अफसरों की मेहरबानी!*
85 परिवारों के दो-दो जॉब कार्ड बनाए गए, और ₹24.89 लाख सीधे अफसरों, बाबुओं और प्रधान की जेब में पहुंच गया।
सवाल उठता है, बिना ब्लॉक अफसरों की सहमति के यह फर्जी जॉब कार्ड कैसे बन गए?

*शिकायत पर ब्लॉक प्रशासन ने डाला ढक्कन!*
4 सितंबर 2023 को बालचंद यादव ने शिकायत दर्ज कराई, लेकिन ब्लॉक अफसरों ने जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। आखिरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब जाकर प्रशासन की नींद खुली।
*नकली ऑडिट रिपोर्ट से सब दबाने की कोशिश!*
जब घोटाले की भनक लगी, तो ब्लॉक अधिकारियों ने फर्जी ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर सफाई देने की कोशिश की। लेकिन जिलाधिकारी के आदेश पर त्रिसदस्यीय जांच समिति बनी, जिसने असली घोटाले का पर्दाफाश कर दिया।

*अजमतगढ़ ब्लॉक के अफसर अब भी बचने की कोशिश में!*

वहीं ग्राम प्रधान राधा देवी का कहना है  कि “जॉब कार्ड बनाना और भुगतान करना ब्लॉक स्तर का काम है।” उन्होंने आरोप लगाया कि ब्लॉक के अधिकारी खुद इसमें शामिल थे और अब बचने के लिए सारा दोष उन पर डाल रहे हैं।

फिलहाल जिलाधिकारी के आदेश के बाद ग्राम पंचायत का बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया। जिला समाज कल्याण अधिकारी और अधिशासी अभियंता को 1 पक्ष में अंतिम रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया है साथ ही ब्लॉक के संबंधित सचिव और तकनीकी सहायक पर विभागीय जांच शुरू करने के भी आदेश दिए गए हैं।
वह जिलाधिकारी का सख्त संदेश है कि “सरकारी पैसे का गबन करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे वे कितने भी ऊँचे पद पर हों!”
गांव के लोगों का कहना है कि “मनरेगा जैसी योजनाएं गरीबों के लिए बनी थीं, लेकिन ब्लॉक कार्यालय में बैठे अफसरों और बाबुओं ने इसे अपनी कमाई का धंधा बना लिया है।” लोगों का कहना है कि “यह घोटाला सिर्फ एक पंचायत तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे विकास खंड में यही खेल चल रहा है!अब बड़ा सवाल – क्या प्रशासन सिर्फ ग्राम प्रधान पर कार्रवाई कर मामले को रफा-दफा करेगा, या अजमतगढ़ ब्लॉक के घोटालेबाज अधिकारियों पर भी गिरेगी गाज? जांच की अगली रिपोर्ट से सब साफ हो जाएगा!

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