मालदीव के तेवर नरम, समझ आ गई भारत की अहमियत

Maldives' attitude softened, it understood the importance of India

नई दिल्ली: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 6 से 10 अक्टूबर तक भारत की राजकीय यात्रा करेंगे। वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आधिकारिक निमंत्रण पर भारत आ रहे हैं। मुइज्जू की यह यात्रा बेहद मत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ समय से भारत और मालदीव के रिश्ते उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं।

पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के सत्ता संभालने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को झटका लगा था। जल्द ही उन्होंने भारत से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने को कहा।

मुइज्जू ने भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। इन सैनिकों की मौजूदगी मुइज्जू के नेतृत्व वाली मालदीव सरकार और नई दिल्ली के बीच विवाद का बड़ा कारण बन गई।

भारत ने 10 मई की समयसीमा से पहले द्वीप देश से अपने 80 से ज्यादा सैन्य कर्मियों को वापस बुला लिया। भारतीय सैनिक दो हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान का संचालन और रखरखाव करते थे। इन्हें भारत ने मालदीव को उपहार में दिया था।

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन हेलीकॉप्टरों और विमानों का संचालन ‘सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों’ द्वारा किया जाएगा, जो ‘वर्तमान कर्मियों’ का स्थान लेंगे।

भारतीय सैनिकों के मुद्दे के अलावा, मालदीव के साथ भारत के संबंधों पर तब असर पड़ा जब मालदीव के कुछ मंत्रियों ने पीएम मोदी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की। मुइज्जू सरकार ने दो जूनियर मंत्रियों को निलंबित करके स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन नुकसान हो चुका था।

सोशल मीडिया यूजर्स ने ‘मालदीव का बहिष्कार’ अभियान शुरू कर दिया। कुछ भारतीय हस्तियों ने स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना भी शुरू कर दिया।

विवाद के चलते मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी हद तक निर्भर है। भारतीय पटर्यक, मालदीव टूरिज्म सेक्टर की कमाई के सबसे बड़े स्रोतों में से एक हैं।

मुइज्जू की यात्रा का एजेंडा मालदीव में पर्यटन को बढ़ावा देना हो सकता है। द्वीप राष्ट्र पहले से ही अपने ‘वेलकम इंडिया’ अभियान के जरिए भारतीय पर्यटकों को लुभाने की कोशिश कर रहा है।

मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है। राष्ट्रपति बनने के बाद वह चीन के दौरे पर गए भी थे लेकिन लगता है कि अब वह अपने देश के लिए भारत की अहमियत को समझ गए हैं। उनके पिछले कुछ बयानों पर अगर नजर डालें तो यह बात एकदम स्पष्ट हो जाती है।

15 अगस्त पर मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए शुभकामना संदेशों में दोनों पड़ोसी देशों के बीच ‘अमूल्य साझेदारी’ की सराहना की।

मालदीव के राष्ट्रपति ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच ‘ऐतिहासिक और घनिष्ठ संबंधों’ को मजबूत करने के लिए अपने प्रशासन की “पूर्ण प्रतिबद्धता” दोहराई।

एक्स पर मुइज्जू ने लिखा, “भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, मैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं। हमारी स्थायी मित्रता, मालदीव और क्षेत्र में समृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए विकसित हुई है। मुझे विश्वास है कि हमारी साझेदारी मजबूत होती रहेगी, जिससे पारस्परिक समृद्धि और साझा लक्ष्य प्राप्त होंगे।”

इससे पहले विदेश मंत्री एय जयंकर के मालदीव दौरे के दौरान मुइज्जू ने भारत को ‘सबसे करीबी सहयोगी’ और ‘अमूल्य साझेदार’ बताया। उन्होंने मालदीव को ‘उदार और निरंतर सहायता’ के लिए पीएम मोदी, भारत सरकार और भारत के लोगों के प्रति ‘गहरी कृतज्ञता’ भी व्यक्त की।

मुइज्जू ने राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक समारोह में विदेश मंत्री (ईएएम) एस. जयशंकर की मौजूदगी में कहा, “भारत हमेशा से सबसे करीबी सहयोगी और अमूल्य साझेदार रहा है, जिसने मालदीव की जरूरत के समय हमेशा मदद की।”

अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा के दौरान, मुइज्जू राष्ट्रपति मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठकें करेंगे।

मुइज्जू के कार्यालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, “राष्ट्रपति डॉ. मुइज्जू मालदीव के विकास और वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि देश के लिए एक गतिशील और सक्रिय विदेश नीति सुनिश्चित हो सके। चर्चाएं द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक संबंधों को और आगे बढ़ाने पर केंद्रित होंगी।”

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