बिहार:भागलपुर में कांवड़ निर्माण में जुटे कारीगर, इस साल कांवड़ियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद
Bihar: Artisans engaged in making Kanwar in Bhagalpur, the number of Kanwars expected to increase this year
भागलपुर, 3 जुलाई: भगवान भोले की आराधना के लिए सबसे पवित्र माने जाने वाले श्रावण मास की शुरुआत 22 जुलाई से होने वाली है। इस महीने लाखों कांवड़िए भागलपुर के सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा से पवित्र जल उठाकर देवघर बाबा बैद्यनाथ पर जलाभिषेक के लिए जाते हैं। श्रावण मास को आने में अभी भले ही एक पखवाड़े से ज्यादा का समय शेष हो, लेकिन, सुल्तानगंज में कांवड़ निर्माण का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। श्रावण और भादो महीने में सुल्तानगंज शहर से लेकर गंगा तट तक दो से ढाई हजार कांवड़ के दुकान सजे रहते हैं। स्थानीय कारीगर कांवड़ निर्माण में जुट गए हैं।कांवड़ निर्माण करने वाले बताते हैं कि इसके निर्माण के लिए सबसे जरूरी बांस की फट्टी होती है। इस पर कपड़ा या प्लास्टिक चिपकाकर या लपेटकर कांवड़ बनाया जाता है। बताया जाता है कि पहले फट्टी कोलकाता से लाई जाती थी, लेकिन अब यहां के बांस व्यापारी ही इन कारीगरों को इसकी आपूर्ति करने लगे हैं।बताया जाता है कि बांस फट्टी तैयार करने वाले बांस व्यापारी श्रावण महीना आने के दो महीने पहले से ही फट्टी तैयार करवाने लगते हैं। इसके लिए बांस व्यापारी बढ़ई (कारपेंटर) और मजदूरों को इस कार्य में लगाते हैं।बांस के व्यापारी संतोष कुशवाहा बताते हैं कि इस बार बांस के मूल्यों में इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि वे लोग सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार के अलावा झारखंड के दुमका से बांस मंगवाते हैं। कांवड़ बनाने वाले बांस की फट्टी यहां से खरीद कर ले जाते हैं। पिछले मेला में जहां कांवड़ फट्टी तीन हजार रुपये प्रति सैकड़ा बिका करती थी, इस बार इसके मूल्य में वृद्धि हुई है। इसी बांस की फट्टी से कांवड़ निर्माण का कार्य प्रारंभ होता है।इन फट्टियों पर भगवा रंग या अन्य कपड़ा चढ़ाकर उसे आकर्षक तरीके से सजा दिया जाता है। एक-दो प्लास्टिक के खिलौने, फूल, पत्ती भी इस पर लगा दिए जाते हैं। इससे कांवड़ आकर्षक लगने लगते हैं। कांवड़ की कई वैरायटी यहां दुकानों में मिल जाएंगी। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह कारोबार मेला प्रारंभ होने के एक पखवाड़ा पहले से लेकर भादो मास की पूर्णिमा तक चलता है।
श्रावणी मेला में मुख्य शहर के अलावा मुंगेर रोड में गनगनिया तक और भागलपुर रोड में महेशी चौक तक और देवघर रोड में नारदपुर दुर्गा स्थान तक में लगभग दो हजार से ढाई हजार कांवड़ की दुकानें खोली जाती हैं।