सोशल मीडिया प्लेट फार्म से अच्छे विचार हो रहे है नदारद-राजेश बादल

 

रिपोर्ट: रोशन लाल

आजमगढ़:लोकतंत्र, मीडिया एवं सरोकार के स्वरूप पर जन चेतना की चिंता और चिंतन के दो दिवसीय संवादी उत्सव में रविवार को वक्ताओं ने मीडिया और साहित्य के विविध विषयों को गंभीर चिंतन किया।हरिऔध कला केंद्र में संवादी उत्सव में आजतक समाचार चैनल के पूर्व संपादक राजेश बादल ने कहा कि कितने लोग हैं यहां परिवर्तन के लिए बहुत से लोगों की आवश्यकता नहीं होती बल्कि कुछ कुछ लोग अपनी सकारात्मक ऊर्जा से परिवर्तन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर कहा कि आम आदमी सोशल मीडिया में अपने व्यक्तिगत चीजों को शेयर कर रहा है और उससे विचार गायब होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सबसे सुंदर संविधान है लेकिन उसकी रक्षा करने वाले अगर सही नहीं होंगे तो उसे लोग का कोई फायदा नहीं होगा।दिल्ली के पत्रकार यशवंत सिंह ने आईटी सेल में तब्दील होते मीडिया घराने पर चर्चा की। कहा कि लोकतंत्र का चश्मा मीडिया है और उसपर आजकल समय धुंध छा गई है। मीडिया और सत्ता का गठबंधन लोकतंत्र के लिए घातक है। कहा कि स्वतंत्र लेखन के लिए सोशल मीडिया आया और उसपर भी निगरानी हो रही है। कहा कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दौर में बड़े बदलाव होंगे। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विभाकर मिश्र ने कहा कि सच्ची पत्रकारिता वही है सच को सच और झूठ को झूठ लिखे। उन्होंने मीडिया ट्रायल की बढ़ती प्रवृति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया को ट्रायल करने का अधिकार नहीं है। मीडिया को नैतिक मूल्यों का ध्यान रखना चाहिए।सूचना प्रसारण मंत्रालय के पूर्व अधिकारी गोपाल राय ने मीडिया में नैतिकता, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष रामाधीन सिंह ने छात्र राजनीति का अतीत और भविष्य, डॉ दिनेश कुमार गुप्त ने साइबर आतंकवाद पर अपनी बात रखी।

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