स्नान दान पूर्णिमा 13 जनवरी दिन सोमवार को

 

विनय मिश्र, जिला संवाददाता।

देवरिया।

आचार्य अनिल कुमार मिश्र मैं बताया

कि साम्ब दशमी का मान ९ जनवरी २०२५ गुरुवार को होगा ।

पुत्रदा एकादशी व्रत का मान सभी के लिए १० जनवरी २०२५ शुक्रवार को होगा। आज ही तैलंङ्ग स्वामी की जयन्ती भी मनायी जायेगी तथा मध्याह्न काल में द्वादशी तिथि मिलने के कारण इसे कूर्म द्वादशी के रुप में भी मनाया जायेगा।

एकादशी व्रत का पारणा ११ जनवरी २०२५ शनिवार को प्रात: ७:२६ बजे तक किया जा सकेगा। आज ही शनि प्रदोष एवं तेरस व्रत भी किया जायेगा। दिन में ९:१३ बजे भगवान भास्कर उत्तराषाढ़ नक्षत्र में प्रवेश करेंगें ।

अंग्रेजी तारीख के अनुसार स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती १२ जनवरी २०२५ रविवार को मनायी जायेगी ।

स्नान-दान एवं व्रत सहित पौषी पूर्णिमा का मान १३ जनवरी २०२५ सोमवार को होगा। आज ही शाकुम्भरी जयन्ती मनायी जायेगी और इसी के साथ शाकुम्भरी नवरात्र की समाप्ति हो जायेगी। आज से माघ स्नान – व्रत – यम- नियम आरम्भ हो जायेगा। प्रतिदिन अरुणोदय समय समुद्र में, काशी दशाश्वमेध घाट पर , प्रयागराज मे सर्वत्र नदियों एवं अपने घरों में स्नान करना चाहिए। माघ स्नान में निम्न मंत्र का प्रयोग किया जायेगा-

दु:खदारिद्रय नाशाय श्रीविष्णोष्तोषणाय च।

प्रात: स्नानं करोम्यद्य माघे पाप विनाशने ।।

मकरस्थे रवौ माघे गोविन्दाच्यूत माधव ।

स्नानेनानेन में देव यथोक्त फलदो भव।।

स्नान करने के पश्चात् भगवान् भास्कर को निम्न मंत्र से अर्घ्य दिया जायेगा –

सवित्रे प्रसवित्रे च परं धाम जले मम।

त्वत्तेजसा परिभ्रष्टं पापं यातु सहस्रधा ।।

आज से ही प्रयागराज में कुम्भ मेला प्रारम्भ हो जायेगा। जै ४५ दिनों पर्यन्त चलेगा। सनातन सिद्धान्त के अनुसार परब्रह्म परमात्मा अगम, अगोचर , अखण्ड एवं अनन्त है। वह ईश्वर, भगवान आदि नामों से जाना जाता है। उसे प्राप्त करना परम पुरुषार्थ है। उसे प्राप्त करने के अनेक साधन हैं- तीर्थ यात्रा, व्रत, गंगा स्नान, जप दान इत्यादि किन्तु इन सबसे अधिक महत्व कुम्भ महापर्व का है। कहा गया है –

सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे कार्तिक्यां च त्रिपुष्करे ।

माघ मासे प्रयागे च य: स्नायात्सोऽतिपुण्यवान् ।।

” सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र और कार्तिक मास में त्रिपुष्कर क्षेत्र में जो स्नान का फल होता है, उससे अधिक पुण्यफल माघ मास में प्रयाग स्नान से होता है।”

सहस्रे कार्तिके स्नानं माघे स्नानशतानि च ।

वैशाखे नर्मदा स्नानं कुम्भ स्नानेन तत्फलम् ।।

” हजारों बार कार्तिक मास में स्नान करने का, सैकड़ों बार माघ मास में स्नान करने का और वैशाख में नर्मदा स्नान का जो फल होता है, वह फल कुम्भ स्नान के एक बार करने से प्राप्त हो जाता है।

माघ मास का प्रारम्भ १४ जनवरी २०२५ मंगलवार को हो रहा है। ‘माघे मूलकं भक्षणं न कार्यम् । ‘ के अनुसार मूली नहीं खाना चाहिए। आज ही भगवान् भास्कर दिन में २:५८ बजे मकर राशि में प्रवेश कर जायेंगें और इसी के साथ खरमास समाप्त हो जायेगा। भगवान् उत्तरायण हो जायेंगें और शिशिर ऋतु का प्रारम्भ हो जायेगा। देवताओं का दिन एवं दैत्यों की रात्रि प्रारम्भ हो जायेगा। “पूर्वा परा: २० वा ४० घट्य: पुण्या:” के अनुसार संक्रांति समय से ८ घंटे पूर्व अर्थात् प्रात: ६:५८ बजे से सूर्यास्त पर्यन्त पुण्यकाल रहेगा । यही मकर संक्रान्ति तथा खिचड़ी का पर्व है। स्नान-दान के लिए यह पर्व अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। सर्वत्र गंगा, गोदावरी आदि नदी, अन्यत्र नदी, तीर्थ एवं कुआं, सरोवर आदि में स्नान किया जायेगा। ऊनी वस्त्र, दुशाला, कम्बल, जूता धार्मिक पुस्तकें विशेषकर पंचांग का दान विशेष पुण्यफलकारक होता है। इस पर्व को सम्पूर्ण विश्व में अपने स्थानीय रीति एवं परम्परा के अनुसार मनाया जाता है। इस वर्ष तो प्रयागराज में महाकुम्भ ही लगा है अत: शाही स्नान भी होगा।

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