मीरा शाह मोहल्ले वालों मस्जिद में नमाज-ए-तरावीह मुकम्मल
हाफिज व कारी फहद अत्तारी ने 7 दिन में मुकम्मल कराई तरावीह
रिपोर्ट अशरफ संजरी
भदोही। रमजान-उल-मुबारक के महीने में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज-ए-तरावीह 7 दिन में शुक्रवार की रात नगर के मीरा शाह मोहल्ले में स्थित मस्जिद में मुकम्मल हुए। जहां पर तरावीह मुकम्मल होने के पश्चात मुक्तदियों ने हाफिज व कारी फहद अत्तारी को फूल माला पहनाकर गर्मजोशी के साथ इस्तकबाल किया।
इस अवसर पर हाफिज व कारी फहद अत्तारी ने कहा कि रमजान का महीना इबादत वाला महीना है। इस महीने में अल्लाह की रहमत बंदों पर बरसती है। ऐसे में सभी मुसलमानों को चाहिए कि वह इस महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत कर नेकी कमाएं। उन्होंने कहा कि देखा जाता है कि तरावीह मुकम्मल होने के बाद लोग फिर से तरावीह या फिर सूरह तरावीह आदि नहीं पढ़ते। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं कि वें इशा की नमाज को भी छोड़ देते हैं। जबकि नमाज तो हर बालिग औरत और मर्द पर फर्ज है। वहीं तरावीह मुकम्मल होने के बाद इसे खत्म तरावीह न समझे। क्योंकि यह रमजान का चांद दिखने के बाद शुरू होता है और ईद का चांद दिखने के बाद ही खत्म होता है। हाफिज फहद ने कहा कि अगर तरावीह मुकम्मल हो गई हो सूरह तरावीह पढ़ें लेकिन पढ़ते ही रहे। जब तक ईद के चांद का दिदार नहीं हो जाता है। अतः में उन्होंने परवरदिगार से देश की सलामती, तरक्की और अमनो अमान कायम रखने के लिए दुआएं मांगी।
इस मौके पर अख्तर अली राईन, साबिर अली शाह, शमशेर खां, हाजी वकील अहमद, सदरुद्दीन शाह बाबा, मो.दानिश सिद्दीक़ी, शमशेर अली राईन, गुलाम सरवर राईन, मुख्तार राईन, इस्तियाक राईन, तौहीद अहमद, बेलाल राईन, एखलाक राईन, तौफीक बेग, अमजद खां, मोना खां, सैय्यद शम्स, मेराज हबीबी उर्फ टीपू राईन, रेहान अंसारी, वामिक अत्तारी, ताबिश अत्तारी आदि मौजूद रहें।