जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में जिला एवं सत्र न्यायालय परिषर में योग सत्र शिविर का हुआ आयोजन

योग मानव एवं प्रकृति के बीच संतुलन का है माध्यम: जिला न्यायाधीश अखिलेश दुबे

 

 

योग से पूरी मानवता को स्वास्थ्य एवं शांति का दिखाया गया मार्ग: सिविल जज तरुणिमा पांडेय

 

भदोही। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश में जनपद न्यायाधीश, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भदोही अखिलेश दुबे के कुशल मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर ‘योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ थीम के साथ जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में प्रातः 6:00 बजे से योग सत्र शिविर का आयोजन किया गया। योग प्रशिक्षक डॉ सीताराम मिश्रा एवं मनोचिकित्सक डॉ शैलेश पाठक फिजिकल ट्रेनर द्वारा योग शिविर कार्यक्रम का सम्पादन किया गया। इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश अखिलेश दूबे ने कहा योग भारत की प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है। उन्होंने योग की दैनिक उपयोगिता पर जोर देते हुए कहा कि नित्य प्रातःकाल उठकर टहलने और योग प्राणायाम करने से व्यक्ति रोगमुक्त होकर चिरयुवा बना रह सकता है। कहा योग मानव एवं प्रकृति के बीच संतुलन का माध्यम है। इस मौके पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम श्रीमती पुष्पा सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आनंद मिश्रा, पूर्णकालिक सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती तरुणिमा पांडेय, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण बंश बहादुर यादव ने भी योग से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गई। कहा गया कि योग से पूरी मानवता को स्वास्थ्य एवं शांति का मार्ग दिखाया गया। इस अवसर पर जनपद न्यायालय भदोही के समस्त न्यायिक अधिकारीगण, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीकुमार श्रीवास्तव, केन्द्रीय नाजिर आनन्द तिवारी जनपद न्यायालय भदोही, कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भदोही के लिपिक दीपक गौतम, अविनाश कुमार व डाटा इन्ट्री ऑपरेटर राजेश कुमार सहित जनपद न्यायालय के समस्त स्टाफ उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त जिला कारागार भदोही ज्ञानपुर में भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भदोही के तत्वाधान में विश्व अर्न्तराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग शिविर का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में जेल अधीक्षक अभिषेक सिंह, जेलर सुबेदार यादव व चीफ डिप्टी तथा असिस्टेन्ट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल भदोही एवं योग प्रशिक्षक के रूप में डॉ० राजमणि शुक्ला सहित जेल में निरूद्ध बन्दियों को योगाभ्यास कराया गया। वहीं योग का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, योग को भारत की प्राचीन परंपरा के उपहार के रूप में प्रचारित करना तथा इसके अभ्यास के माध्यम से वैश्विक समरसता एवं शांति को प्रोत्साहित करना बताया गया।

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