क्या हिंदुओं का बेचा गया ‘मीट’ दाल-चावल बन जाएगा : पवन खेड़ा

Will the 'meat' sold by Hindus become dal-rice: Pawan Khera

नई दिल्ली, 18 जुलाई: उत्तर प्रदेश प्रशासन ने कावड़ यात्रा को लेकर एक नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक, अब कावड़ यात्रा के रास्ते में आने वाली दुकान और रेस्टोरेंट के मालिक को अपने नाम का बोर्ड लगाना होगा, जिससे किसी कांवड़िया को कोई भ्रम नहीं हो। इसी बीच यूपी पुलिस के इस फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का बयान सामने आया है। पवन खेड़ा ने कहा कि क्या हिंदुओं का बेचा गया मीट, दाल-चावल बन जाएगा?
पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा के रूट पर फल-सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना होगा। इसके पीछे की मंशा बड़ी स्पष्ट है, हिंदू कौन और मुसलमान कौन? हो सकता है कि इसमें जाति भी हो। यूपी सरकार ने जो आदेश जारी किया है, इसके पीछे मंशा है कि कैसे मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार का सामान्यीकरण करना है। इस मंशा को हम कामयाब नहीं होने देंगे। चाहे वो हिंदू या फिर मुसलमानों के लिए करें।उन्होंने बताया कि भारत के बड़े मीट एक्सपोर्टर हिंदू हैं। जिनमें अल-कबीर मीट फैक्ट्री के मालिक सतीश सबरवाल, अरेबियन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक सुनील कपूर, एमकेआर. फ्रोजन के मालिक मदन एबट हैं। जिस तरह से वो मीट एक्सपोर्ट करते हैं, आखिर वो मीट रहती है ना या फिर दाल-चावल बन जाता है। ठीक वैसे ही कोई अल्ताफ या रशीद आम-अमरूद बेच रहा है, वो गोश्त तो नहीं बन जाएंगा। ये संघ वाले लोग हैं, जो बिना सोचे-समझे काम करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि दुर्गा पूजा, जगन्नाथ रथ यात्रा में कैसे सभी लोग मिलजुलकर एक तहजीब में सबकी मदद करते हैं और उसी तहजीब पर ये लोग हमला बोल रहे हैं। इन लोगों को अपने घरों में घुसने से रोकिए। अगर इन्हें अपने घरों में घुसने से रोकना है तो इस विचारधारा को अपने मोहल्ले, विधानसभा और लोकसभा से दूर रखिए। तभी हम इस खूबसूरत तहजीब को बचा सकेंगे।
पवन खेड़ा ने वीडियो शेयर करते हुए यह भी लिखा, ”कांवड़ यात्रा के रूट पर फल सब्ज़ी विक्रेताओं व रेस्टोरेंट ढाबा मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना आवश्यक होगा। यह मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का, या दोनों का, हमें नहीं मालूम। जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किस से क्या ख़रीदेगा? जब इस बात का विरोध किया गया तो कहते हैं कि जब ढाबों के बोर्ड पर हलाल लिखा जाता है तब तो आप विरोध नहीं करते। इसका जवाब यह है कि जब किसी होटल के बोर्ड पर शुद्ध शाकाहारी भी लिखा होता है तब भी हम होटल के मालिक, रसोइये, वेटर का नाम नहीं पूछते।”
उन्होंने आगे लिखा, “किसी रेहड़ी या ढाबे पर शुद्ध शाकाहारी, झटका, हलाल या कोशर लिखा होने से खाने वाले को अपनी पसंद का भोजन चुनने में सहायता मिलती है। लेकिन ढाबा मालिक का नाम लिखने से किसे क्या लाभ होगा? भारत के बड़े मीट एक्सपोर्टर हिंदू हैं। क्या हिंदुओं द्वारा बेचा गया मीट दाल-भात बन जाता है? ठीक वैसे ही क्या किसी अल्ताफ़ या रशीद द्वारा बेचे गए आम अमरूद गोश्त तो नहीं बन जाएंगे।”

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