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राजनैतिक व्यंग्य-समागम:1 जो रगों में ही न दौड़ा, तो फिर सिंदूर क्या है! : राजेंद्र शर्मा
चचा गालिब से दोहरी माफी के साथ। एक माफी तो उनके शेर की पैरोडी करने के लिए। दूसरी माफी, पैरोडी…
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चचा गालिब से दोहरी माफी के साथ। एक माफी तो उनके शेर की पैरोडी करने के लिए। दूसरी माफी, पैरोडी…
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