एमपी में जिसने सम्हाला महिला विभाग उसको गवाना पड़गाया राज, इतिहास गवाह है कि मध्य प्रदेश में जिसने भी महिला एवं बाल विकास विभाग सम्हाला उसको उसको सत्ता से हाथ धोना पड़ा

कुसुम महदेले से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक के राजनीतिक सफर के गवाह है विभागीय अधिकारी

रिपोर्ट: रोशन लाल

भाजपा और कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 163 सीटों की बंपर जीत हासिल की. इसके बाद भी शिवराज फिर से मुख्यमंत्री नहीं बन सके. इसके पीछे एक अजब संयोग को भी बताया जा रहा है.बीते 20 साल से महिला एवं बाल विकास विभाग का जो भी मुखिया रहा, उसकी गद्दी छिन गई. इस बार यह विभाग खुद शिवराज ने अपने पास रखा था. इसी विभाग ने लाड़ली बहना योजना बनाई थी, जिसे चुनाव में गेमचेंजर माना गया. शिवराज से पहले प्रदेश की छह महिला नेता इस विभाग की मंत्री रहीं. उन्हें भी या तो चुनाव में हार का सामना करना पड़ा या फिर चुनाव जीतने के बाद भी मंत्री पद हासिल नहीं हुआ.

उपचुनाव में इमरती देवी के हारने के बाद सीएम शिवराज ने संभाली थी कमान
कार्यवाहक सीएम शिवराज सिंह चौहान ने साल 2021 में इमरती देवी के चुनाव हारने के बाद महिला और बाल विकास विभाग की कमान अपने पास रख ली थी. उन्होंने किसी को इस विभाग का मंत्री नहीं बनाया था. सूत्र बताते हैं कि इस विभाग के अफसरों के सोशल मीडिया ग्रुप्स पर उन मंत्रियों के नाम वायरल हो रहे हैं जो विभाग के मंत्री रहे और फिर अगले चुनाव में न विधायक न मंत्री बन सके. इस विभाग के अफसरों का कहना है कि उनसे लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना समेत अन्य विभागीय योजनाओं को लेकर काम तो जमकर कराया जाता था लेकिन जब अफसरों की हित की बात होती तो नजरअंदाज कर दिया जाता. अब शायद नए मुख्यमंत्री उनकी समस्याओं की सुध लें.

सबसे पहले कुसुम महदेले हारीं और मंत्री पद गया
वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद कुसुम महदेले को महिला एवं बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था. वर्ष 2008 के चुनाव हुए तो वे हार गईं. तब वे इसी विभाग की मंत्री थीं. 2007 में रंजना बघेल को महिला बाल विकास विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया था. मंत्री रहते हुए रंजना बघेल 2008 का विधानसभा चुनाव हार गईं. अर्चना चिटनिस को 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था लेकिन 2018 के चुनाव में वे बुरहानपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार गईं. माया सिंह 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद महिला और बाल विकास विभाग की मंत्री बनीं थीं लेकिन 2018 के चुनाव के दो साल पहले उनका विभाग बदल दिया गया था. इसके बाद 2018 के चुनाव में इन्हें टिकट नहीं दिया गया. ललिता यादव को भी 2018 के चुनाव के पहले महिला बाल विकास विभाग में राज्यमंत्री बनाया गया था. वे भी 2018 का चुनाव हार गईं. इसी तरह इमरती देवी पहले 2018 में बनी कमलनाथ सरकार और फिर शिवराज सरकार में महिला और बाल विकास विभाग की मंत्री रहीं थीं लेकिन वे पिछले उपचुनाव में हार गई थीं. हालांकि, मीना सिंह और जमुना देवी इस मामले में अपवाद हैं. दोनों महिला बाल विकास विभाग में मंत्री रहने के बाद भी नहीं हारी.

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