कभी पूर्व प्रधानमंत्री को मिली थी इस सीट से मात, कुछ यूं रहा है इस लोकसभा का इतिहास

लोकसभा चुनाव को लेकर बलिया का अपना अलग ही इतिहास रहा है. ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र में राजपूतों का वर्चस्व कायम रहा है. 17 बार के संसदीय चुनाव में 12 बार राजपूतों का कब्जा

रिपोर्ट अजीत कुमार सिंह बिट्टू जी

/बलिया:  बलिया को यूं ही बागी बलिया नहीं कहा जाता है. इसके तेवर हर क्षेत्र में बागी हैं. लोकसभा चुनाव का बिगुल पूरे देश में बज चुका है. बलिया भी इससे अछूता नहीं है. यहां से भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के लड़के निरज शेखर को मैदान में उतारा है, तो वहीं सपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. बात करें बसपा की तो वह अभी वेट एंड वाच की स्थिती में है. बिहार बार्डर पर लगना वाला ये लोकसभा सीट पिछले 17 लोकसभा में 10 बार चंद्रशेखर फैमली के कब्जे में रही है. खुद स्व. चंद्रशेखर ने इस लोकसभा का 8 बार प्रतिनिधित्व किया है. वहीं नीरज शेखर भी यहां से 2 बार चुनाव जीते हैं. आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं इसके इतिहास के बारे में…

 

1952 में ही बलिया ने दिखा दिया अपना तेवर
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में ही बलिया ने अपना बागी तेवर दिखा दिया था.  जब कांग्रेस के प्रत्याशी पं. मदन मोहन मालवीय के सुपुत्र गोविन्द मालवीय को हराकर निर्दलीय प्रत्याशी स्व. मुरली मनोहर लाल को सांसद बनाया था.  दूसरे लोकसभा चुनाव 1957 में कांग्रेस के स्व. राधा मोहन सिंह सांसद बने. तीसरी लोकसभा 1962 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में स्व. मुरली मनोहर लाल दूसरी बार भी सांसद निर्वाचित हुए.
पूर्व प्रधानमंत्री चंंद्रशेखर को मिली मात
1967 और 1971 चुनाव में कांग्रेस के स्व. चंद्रिका प्रसाद दो बार सांसद बने. आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में स्व. चंद्रशेखर भारतीय लोक दल से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए. इसके बाद 1980 में जनता पार्टी के सांसद बने, लेकिन 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगन्नाथ चौधरी ने उन्हें पराजित कर दिया.

कभी पूर्व प्रधानमंत्री को मिली थी इस सीट से मात, कुछ यूं रहा है इस लोकसभा का

 

पूर्व प्रधानमंत्री ने किया 8 बार प्रतिनिधित्व
1989 के चुनाव में स्व. चंद्रशेखर पुनः बलिया से सांसद चुने गए और इसी दौरान 10 नवंबर 1990 से 20 जून 1991 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे. 1991 1996 1998 1999 और 2004 में स्व. चंद्रशेखर ने कुल आठ बार इस लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व किया और जीवन प्रयत्न यहां से सांसद रहे.
2009 से अब तक के सांसदों का ये है इतिहास
2009 में उनके पुत्र नीरज शेखर सपा से सांसद बने, लेकिन 2014 के चुनाव में भाजपा के भारत सिंह ने हरा दिया. 2019 के चुनाव में यहां से भाजपा ने मिर्जापुर भदोही से सांसद रहे वीरेंद्र सिंह मस्त को चुनाव लड़ाया जो बहुत थोड़े अंतर 15,000 वोट से सपा प्रत्याशी सनातन पांडेय से जीते थे.
एक बार फिर नीरज शेखर मैदान में
वर्तमान में भाजपा ने स्व. चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को प्रत्याशी बनाया है. इंडी गठबंधन ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया हैं. वहीं बसपा से यहां उमाशंकर सिंह के चुनाव लड़ने की चर्चा है।

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