चैत राम नवमी,बासंतिक नवमी में घर घर पुजी गई,माता
रिपोर्ट: संजय सिंह
रसड़ा (बलिया) हिन्दी माहिने के चैत राम नवमी बासंतिक नवरात्र में नगर सहित ग्रामीण अंचलो में
बासंतिक नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी के दिन घर घर कलस रखकर पुजी जाती,”माता, परम्परा के अनुसार गृष्म ऋतु आने के पूर्व बसंत ऋतु बासंतिक नव रात्रि में वैसे चैत राम नवमी, नवमी पुजा में लोग नवरात्रि प्रारम्भ होते कुछ लोग पहला दिन ब्रत रहते है व अंतिम अष्टमी तिथि को ब्रत उपवास रहते है।कुछ लोग नौ दिन तक ब्रत उपवास रहते है। वहीं पूर्व में घरो की साफ सफाई कर अष्टमी तिथि को घर घर में मां का कलसा रख रात्रि मे जागरण कर घर की महिलाएं, माताएं अच्छी पकवान बनाती है जिसमे दाल पुड़ी बेसन का बाना नमक का वरी पुड़ी गुड़ का वरी (गुलउरी) गुड़ या चीनी से चावल का बखीर,चढ़ा कर पुजन करती है।भिगा चना गुड़ चीनी का बना बतासा आदि सुबह होते ही नवभी के दिन भोर मे चढ़ाई गयी पुड़ी बाहर कर चढ़ा कर यानी रोटी बहरिया कर ,रोटी बहरियाना कहते है उसके पश्चात महिलाएं काली मां मंदिर सती मंदिर अन्य देवी देवताओ मंदिर मे पुजन अर्चन कर घर लौट कर प्रसाद ग्रहण (पारण) करती है और परिवार के लोग बुढ़े, बच्चे अन्य को चढ़ाई गयी पुड़ी पकवान आदि प्रसाद ग्रहण, भोजन कराती है। जिसे भोजपुरी भाषा में माता माई पुजा कहते है। हिन्दु धर्मावलंबीयो के अनुसार माता रानी के अनेक रूप है अनेक नामो अनेक रूपो मे दुनिया संसार व विश्व में लोग अपने अस्ता विश्वास से मां का पुजन अर्चन करते है। सबसे महत्व कलस रख माता का पुजन करना और नौवा दिन मां की विदाई करना होता है। इस बासंतिक राम नवमी मे नगर के कोटवारी मार्ग स्थित मां काली मंदिर, नीब्बू गांव में काली मां मंदिर व उचेड़ा में मां चण्डी का विशाल मेला लगता है जिसे श्रद्धालु नव दिन पुजन अर्चन दर्शन के लिए जाते है और दर्शन करते है।