लड़कियां कुछ भी करें सिर पर दुपट्टा रखें बज्मे अहले कलम के तत्वावधान में आयोजित किया गया शेरी नशिस्त

 

 

रिपोर्ट अशरफ संजरी

भदोही। नगर के काजीपुर मोहल्ले बेलाल मस्जिद के पास स्थित सुहैल अंसारी के आवास पर शनिवार की रात बज्मे अहले कलम के जानिब से एक शानदार शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। जिसका आगाज कुरान-ए-मुकद्दस की आयत-ए-करीमा से की गई। जिसके मेहमाने खुसूसी अंसार अंसारी रहे। शायरों ने अपने कलाम से शमां बांधे रखा।
इस दौरान युवा शायर आसिफ अख्तर ने शेर को कुछ इस तरह पढ़ा कि “बहुत तकलीफ है इस बात की मां है नहीं मेरी, मगर बहनों को देखूं तो तसल्ली मिल ही जाती है’। शायर तौसीफ कैसियस ने अपने शेर इस तरह पेश किया कि “सारे मसले हल कर दूंगा, आज नही तो कल कर दूंगा, माना सूरज हो तुम लेकिन, एक दिन मैं शीतल कर दूंगा’। शायर आलम भदोहवी ने सुनाया कि “यूं तो हर कोई खुद को पारसा बताता है, किसकी क्या हकीकत है आईना बताता है’। शायर शब्बीर जौनपुरी ने पढ़ा कि शिकवा ना कोई अपने होटों पे लाएंगे, हम आज तेरे गम को मेहमान बनाएंगे’। शायर रईस अंसारी भदोहवी ने सुनाया कि “कुबूल उसकी इबादत खुदा नही करता, जो शख़्स भाई का हक अपने मार लेता है’। गौहर इलाहाबादी ने पढ़ा कि “लौट सकता नही रहमत का फरिश्ता आकर,
लड़कियां कुछ भी करें सर पे दुपट्टा रखें’। उस्ताद शायर साबिर जौहरी ने सुनाया कि “रहे हयात में ऐसे भी मोड़ आते हैं, न चाहते हुए भी मुस्कुराना पड़ता है’।
आसिम भदोहवी, नौशाद भदोहवी, फैजान वहीदी,
शमशाद अंसारी बड़कऊ व हसनैन अंसारी ने भी अपने कलाम को पेश किया।
इस मौके पर आसिफ अंसारी, शानू, अनवर अली, अमजद अंसारी, सुहैल अंसारी, अयाज अंसारी हीरो, इरशाद अहमद व अब्दुल समद आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहें। सदारत गौहर इलाहाबादी व निजामत रईस अंसारी ने किया।

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