Azamgarh news:पुरुषोत्तम मास में महीनों से चल रहा है श्री रामचरितमानस का पाठ

रिपोर्ट: जयप्रकाश श्रीवास्तव

बोंगरिया (आजमगढ ) श्रीराम मन्दिर रायपुर पट्टी में पुरूषोत्तम मास मे एक महीने तक चलने वाले रामचरितमानस पाठ का कार्यक्रम अनवरत चल रहा है। कार्यक्रम के आचार्य श्री ओम प्रकाश तिवारी जी कहते हैं कि पुरुषोत्तम मास के स्वामी श्री हरि विष्णु हैं। जाहिर है यह श्रेष्ठ महीना है, जब जीव अपने अंदर छिपे दुर्गुणों से मुक्त हो जागृति की अवस्था में रहे अथवा कम से कम उसकी आकांक्षा करे, क्योंकि यह शरीर कच्चे घड़े की तरह है, खुद को सुधारने का मौका मिले या न मिले,लेकिन, अगर अपने अंदर सोये विवेक को जागृत करना है तो सत्संग ही अकेला साधन है। क्योंकि, बिन सत्संग विवेक न होई, इसलिए संतों ने सत्संग की महिमा गाई है। जिसका संग कामनाओं से असंग कर दे, जिसकी छाया में बैठने मात्र से तन-मन शुद्ध हो जाए, यही तो सत्संग है। जब जीवन विकार से मुक्त होने लगता है, तभी तो अंतिम क्षणों में परमात्मा को धन्यवाद दे विदा ली जाती है कि हे भगवान तूने इतनी कृपा की कि मैं शुद्ध हो सका।
‘प्रथम भगति संतन कर संगा।
दूसर भगति मम कथा प्रसंगा।।’
इस माह में ईश्वर की कथा श्रवण भक्ति का दूसरा सोपान है। वैसे संत का संग करें जो सर्वव्यापी परमात्मा के चिंतन में लगा रहे, जो सबका हितैशी हो और समस्त चराचर में ईश्वर का दर्शन करता हो। जिसकी वाणी सरल हो, जहां बैठने मात्र से क्रोध-कामना मुक्त हो जाते हों।
सत्संग के फल
‘मम दर्शन फल परम अनूपा।
जीव पाये सहज स्वरूपा।।’
अर्थात ईश्वर का दर्शन हो या न हो, मुक्ति तभी होगी जब जीवन बाल रूप में हो जाए। इस पुण्यमास में सत्संग करने से काम, क्रोध आदि मिटने लगते हैं। अन्याय पूर्वक धन अर्जन, झूठ, कपट आदि की कामना मिटने लगती है। दीन-दुखियों की सेवा में मन इस तरह से लगने लगता है जैसे वह खुद ईश्वर की सेवा कर रहा हो। अगर संत महात्मा सुलभ नहीं हो तो दु:संग से बच कर यथा साध्य वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, गीता आदि का स्वाध्याय करें जो सत्संग की श्रेणी में आता है। इस पुरुषोत्तम मास में प्रातःकाल पवित्र सरोवर में स्नान ध्यान आदि करकथा-श्रवण में अपना समय लगाएं और जितना हो सके दान अवश्य करते रहें। कार्यक्रम संयोजक डा० कमल स्वरूप श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम समिति के सभी सदस्य निष्ठापूर्वक कार्यक्रम अनवरत चलने में सहयोग कर रहे हैं। कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने में मुख्य रूप से विनोद श्रीवास्तव, प्रमोद श्रीवास्तव, राम सहाय श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, सन्तोष श्रीवास्तव देवराज यादव, दूधनाथ यादव, संजय कुमार , अभिनव, आशुतोष, बेचन सिंह, विमल स्वरूप श्रीवास्तव का है।

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