पुण्यतिथि विशेष : जननायक राम मनोहर लोहिया, जब उस दौर में लिव इन रिलेशन में रहे
Death anniversary special: Jannayak Ram Manohar Lohia, when he lived in a live-in relationship during that era
नई दिल्ली:। राम मनोहर लोहिया का कद भारतीय राजनीति में अद्वितीय था। देश में उन्हीं की विचारधारा पर आज भी कई पार्टियां राजनीति करती है।
उन्होंने एक ऐसी दुनिया का सपना देखा, जिसमें न सीमाएं हों और न बंधन। लोहिया का निजी जीवन भी उनके विचारों की गहराई को दर्शाता है। वे अविवाहित रहे, लेकिन उनकी महिला मित्र और सहयोगी रोमा मित्रा के प्रति उनका प्रेम गहरा था, और वे जीवन भर उनके साथ रहे।
आज भारत के प्रखर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि के अवसर पर आपको उनके लिव इन संबंध के बारे में बताएंगे। उनका निधन 12 आक्टूबर 1967 को हुआ था।
लोहिया को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं थी। उनके सहयोगी अक्सर उन्हें जीनियस कहकर बुलाया करते थे। वह शुरुआत से ही पढ़ाई में काफी प्रखर थे। वे स्कूल और कॉलेज में हमेशा प्रथम श्रेणी में पास होते रहे। उच्च शिक्षा के लिए जब वे जर्मनी गए, तो उन्होंने इतनी जल्दी जर्मन भाषा पर कमांड हासिल की कि अपना पूरा रिसर्च पेपर उसी भाषा में लिख डाला। वह कई भाषाएं जानते थे, जिसमें मराठी, बांग्ला, हिंदी, अंग्रेजी, जर्मन और फ्रेंच शामिल थी।
लोहिया का मानना था कि स्त्री-पुरुष के रिश्तों में सब कुछ सहमति के आधार पर जायज है, और उन्होंने इस सिद्धांत का पालन अपने जीवन में किया। उनकी महिला मित्रों की संख्या काफी थी, लेकिन, उनके साथ कोई विवाद नहीं हुआ। राम मनोहर लोहिया ताउम्र अपनी साथी रोमा मित्रा के साथ लिव इन रिलेशन में रहे।
रोमा मित्रा के साथ लोहिया के संबंध सबसे खास थे। रोमा एक तेज-तर्रार और बुद्धिमान महिला थीं, जो लोहिया के विचारों से प्रभावित थीं। लोहिया के भारत लौटने के बाद दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ी, खासकर जब 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान लोहिया गिरफ्तार हुए।
उनके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना उस समय के भारतीय समाज में एक क्रांतिकारी कदम था, जब बिना विवाह के एक साथ रहना सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ था। लोहिया और रोमा ने इस संबंध को बेहद स्वाभाविक तरीके से गुजारा। लोहिया ने उन्हें ध्यान रखने के लिए कहा कि उन्हें डिस्टर्ब न किया जाए, और वे ताउम्र एक-दूसरे के साथ रहे।
रोमा मित्रा दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में लेक्चरर थीं। उन्होंने लोहिया की मौत के वर्षों बाद 1983 में लोहिया के पत्रों पर एक किताब ‘लोहिया थ्रू लेटर्स’ प्रकाशित की। इस किताब में उनके प्रेम पत्रों का भी जिक्र किया गया था।
रोमा का निधन 1985 में हुआ, लेकिन उनके और लोहिया के बीच का बंधन और उनके विचार आज भी जीवित हैं। लोहिया का जीवन न केवल उनकी राजनीतिक विचारधारा का प्रतीक है, बल्कि उन्होंने प्रेम, मित्रता और सम्मान के सच्चे संबंधों को भी स्थापित किया।