क्यों नहीं लगती जहरीली मिठाइयों की बिक्री पर रोक

Why is there no ban on the sale of poisonous sweets?

मिलावटी मावा, बन सकता है जानलेवामिलावट खोर कर रहे लोगों की जिंदगी से खिलवाड़

रिपोर्ट : कमलाकांत शुक्ल

महराजगंज/आजमगढ़:खाद्य विभाग द्वारा बीते दिनों जनपद के दो अलग-अलग थाना क्षेत्रों में छापेमारी कर भारी मात्रा में केमिकल युक्त मिठाइयों की बरामदगी तथा मिलावटखोरों को पकड़ कर अपनी सक्रियता दिखाने का प्रयास किया गया किन्तु इस विभागीय कार्रवाई का मिलावटखोरों पर कोई अंकुश नजर आता नहीं दिख रहा है ।
दीपावली के त्योहार पर भारी मात्रा में मिठाइयों की मांग को देखते हुए स्थानीय कस्बे सहित कप्तानगंज, परशुरामपुर, सरदहा, कटान बाजार, हूंसेपुर सरैया आदि आसपास के छोटे बाजारों में भी मिलावटखोरों का गिरोह पूरी तरह सक्रिय हैं । आमतौर पर मिष्ठान विक्रेता देहात के किसानों से दूध खरीद कर अपने यहां जो मिठाइयां तैयार करते हैं उसमें लागत ज्यादा आती हैं और बचत कम होती है । जबकि मिलावटी छेने और खोवे की मिठाइयां दुकानदारों को मात्र 120 रुपए किलो तथा लड्डू 70 रुपये किलो मिल जाता है जो आसानी से 200 और 120 रुपये प्रति किलो बिक जाता है । बनाने में मेहनत भी नहीं करनी पड़ती । यह जहरीली मिठाईयां देखने में इतनी आकर्षक होती हैं कि देखने वाला वर्बस ही खाने के लिए लालायित हो जाता है । बाजार में मिठाइयों की मांग बढ़ने पर मिष्ठान विक्रेता आपूर्ति न कर पाने तथा अधिक मुनाफे के चक्कर में मिलावटी मिठाइयों के सप्लायर से जुड़ जाते हैं जिनका नेटवर्क इतना सक्रिय होता है कि आर्डर मिलते ही पर्याप्त मिठाइयां दुकानदारों को उपलब्ध करा दी जाती हैं ।

क्यों नहीं लगती जहरीली मिठाइयों की बिक्री पर रोक

महराजगंज /आजमगढ़:आम जनमानस के स्वास्थ्य के प्रति संजीदगी दिखाते हुए खाद्य विभाग के जिम्मेदारों द्वारा त्योहारों में कुछ दुकानों पर छापेमारी कर केमिकल युक्त मिठाइयों की सेम्पलिंग कर अखबारों के माध्यम से विभागीय सक्रियता मात्र दर्ज कराई जाती है जो कारोबारियों पर अंकुश लगाने में नाकाफी साबित होती है । विभागीय सक्रियता की वास्तविकता यह है कि जिम्मेदार निरीक्षकों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र के दुकानदारों से निरीक्षण के नाम पर महीना वसूली की जाती है । सैम्पलिंग की कार्रवाई भी मात्र उन्हीं दुकानदारों के यहां की जाती है जो वसूली में ना-नुकुर करते हैं । सैंपलिंग के बाद उनेसे और मोटी रकम लेकर मामले को रफा दफा किया जाता है ताकि दुबारा वह विभागीय रस्मों-रिवाज की अनदेखी न कर सकें । ऐसी स्थिति में मिलावटखोरों के गोरख धंधे पर रोक लगाना मुश्किल ही नहीं असम्भव नजर आता है ।

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