कामवारी नदी पर जलकुंभी का कहर,प्रशासन की उदासीनता से डूबेगा शहर
Water hyacinth wreaks havoc on Kamwari river, city will drown due to administration's apathy
हिंद एकता टाइम्स भिवंडी
रवि तिवारी
भिवंडी-भिवंडी के शहरीय व ग्रामीण इलाकों से बहने वाली कामवारी नदी इस समय जलकुंभी (हरी शैवाल) से पूरी तरह भर गया है।जिसके कारण नदी इन दिनों नाला जैसा हो गया है।साथ ही पटान के कारण नदी विलुप्त होती जा रही है। प्रशासन द्वारा इस गंभीर समस्या की अनदेखी पर चिंता व्यक्त की जा रही है।भिवंडी मनपा व ग्राम पंचायत की सीमा को अलग करने वाली कामवारी नदी बरसाती पानी निकासी का एकमेव माध्यम है।यह नदी कवाड के पास देपिवली गांव से निकलकर ग्रामीण इलाकों से ३२ किलोमीटर का सफर तय कर मनपा की सीमा से होते हुए आगे चलकर खाड़ी में मिल जाती है। इसी नदी में स्थानीय नदीनाका इलाके में गणेशोत्सव व नवरात्रोत्सव में बप्पा के साथ दुर्गा माता की मूर्ति का विसर्जन बड़े पैमाने पर होता है।लेकिन उक्त नदी इन दिनों नाले में तब्दील हो गई है।साथ ही यह नदी वर्तमान में शेलार इलाके में जलकुंभी से पूरी तरह से भर गया है।इस कारण नदी में रहने वाले जलीय जीव और जल स्रोत विलुप्त होने की कगार पर हैं। नदी के प्रवाह में जलकुंभी के बढ़ने के साथ ही शेलार ग्राम पंचायत क्षेत्र में स्थित साइज़िंग और डाइंग इकाइयों से निकलने वाला रासायनिक उपचारित पानी और शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाला दूषित पानी सीधे नदी और खाड़ी में छोड़ा जा रहा है, जिससे यह नदी पहले से ही प्रदूषण की चपेट में थी, और अब जलकुंभी ने इसमें और इजाफा कर दिया है।सरकार की नदी पुनर्जीवन परियोजना में कामवारी नदी को शामिल किया गया है. हालांकि, नदी की इस दुर्दशा पर जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भिवंडी मनपा द्वारा लगातार अनदेखी की जा रही है।इसके साथ ही, स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठन भी खामोश बैठे हैं।
*२०१४ से कर रहे है नदी सफाई की मां ग*
पूर्व नगरसेवक अरुण राउत कामवारी नदी की खराब होती स्थित की शिकायत वे २०१४ से ही संबंधित विभाग से करते आ रहे है। शहर सहित ग्रामीण भाग के बरसात का पानी नदी से होकर बाहर निकलता है। इसके बावजूद आज तक भिवंडी मनपा व ग्रामपंचायत अथवा जिला प्रशासन ने कभी भी इस नदी की साफ़ सफाई पर कोइ ध्यान नहीं दिया।कचरों से आच्छादित होने के कारण नदी की गहराई कम हो गई है।जिसके कारण बारिस के दौरान नदी से पानी का तेज प्रवाह निकलकर नदीनाका, म्हाडा कालोनी, भिवंडी वाड़ा रोड सहित नीचले इलाकों की अन्य झोपडपट्टी क्षेत्रों में पहुंचता है।पूर्व नगरसेवक अरुण राउत ने संबंधित विभाग से नदी की सफाई करने के साथ ही इसे गहरा करने की मांग की है।
*नदी के किनारे सीआरजेड के नियमों का उंघ*
भिवंडी शहर की सीमा से सटी कामवारी नदी के किनारे सीआरजेड के नियमों का उलंघन करके बड़े पैमाने पर हुए अवैध निर्माण के कारण इकलौती कामवारी नदी नाले के रूप में तब्दील हो गई है। मनपा अधिकारियों की मिलीभगत से बिल्डर तो मालामाल हो गए लेकिन इन अवैध निर्माणों के चलते नदी का अस्तित्व ही पूरी तरह समाप्त हो गया। बावजूद इसके कामवारी नदी के किनारे अवैध निर्माण करने वालों का गोरखधंधा अभी भी निर्बाध गति से जारी है।