चित्तौड़गढ़ किले में विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक होगा, जो राजगद्दी के साथ जुड़ेंगे
Udaipur: After the death of former royal family member of Udaipur Mahendra Singh Mewar, his son Vishvaraj Singh will be crowned as Mewar's turban on Monday at Chittorgarh Fort. Vishvaraj Singh will be enthroned in Chittorgarh Fort's Fateh Prakash Palace. During this, he will be coronated by cutting his thumb with the edge of a sword. This tradition will be carried out by Salumbhar Thikanedar. After the coronation, Vishvaraj Singh will meet the people of Mewar. After this, he will visit the Dhuni of Prayaggiri Maharaj and worship at the Kuldevta Eklingji Mahadev Temple. According to the ruling tradition of Mewar, the ruler considers himself the Diwan of Eklingnath ji. In such a situation, Vishvaraj Singh will follow this tradition and visit Eklingji Mahadev Temple. Amidst the mutual family dispute, Arvind Singh Mewar and his son Lakshyaraj Singh have called it completely illegal. He says that the Mewar royal family runs through a trust, which his father has given him to manage. In such a situation, the right to the throne belongs to me and my son. The police administration in Udaipur city is on alert mode regarding this program. Earlier, after the death of Bhagwat Singh Mewar, the elder son Mahendra Singh Mewar was coronated on 19 November 1984. Former Udaipur royal family member and former MP Mahendra Singh Mewar died last week at the age of 83. Mahendra Singh Mewar was a descendant of 16th century Rajput king Maharana Pratap, who ruled Mewar until his death in 1597. Mahendra Singh was elected to the Lok Sabha from Chittorgarh seat on a BJP ticket in 1989. Mahendra Singh Mewar's son Vishvraj Singh Mewar is a BJP MLA from Nathdwara seat in Rajsamand district. His daughter-in-law Mahima Kumari is a BJP MP from Rajsamand.
उदयपुर: उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह का सोमवार को मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ किले में पगड़ी दस्तूर किया जाएगा।चित्तौड़ दुर्ग के फतेह प्रकाश महल में विश्वराज सिंह को राजगद्दी पर बैठाया जाएगा। इस दौरान तलवार की धार से अंगूठे को काटकर उनका राजतिलक किया जाएगा। इस परंपरा का निर्वहन सलूंबर ठिकानेदार करेंगे। राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ लोगों से मिलेंगे। इसके बाद वे प्रयागगिरी महाराज की धूणी पर दर्शन करेंगे और कुलदेवता एकलिंगजी महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे।मेवाड़ की शासक परंपरा के अनुसार शासक खुद को एकलिंगनाथ जी का दीवान मानते हैं। ऐसे में विश्वराज सिंह इस परंपरा को निभाते हुए एकलिंगजी महादेव मंदिर में दर्शन करने जाएंगे।आपसी पारिवारिक विवाद के बीच अरविंद सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इसे पूरी तरीके से गैरकानूनी कहा है। उनका कहना है कि मेवाड़ राजघराना एक ट्रस्ट के जरिए चलता है, जिसका संचालन उनके पिता ने उन्हें दे रखा है। ऐसे में राजगद्दी का अधिकार मेरे और मेरे बेटे का है।इस क्रार्यक्रम को लेकर उदयपुर शहर में पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है। इससे पहले भगवत सिंह मेवाड़ के निधन के बाद बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ का 19 नवंबर 1984 को राज्याभिषेक किया गया था।
उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ का पिछले हफ्ते 83 साल की उम्र में निधन हो गया था। महेंद्र सिंह मेवाड़ 16वीं शताब्दी के राजपूत राजा महाराणा प्रताप के वंशज थे, जिन्होंने 1597 में अपनी मृत्यु तक मेवाड़ पर शासन किया था। महेंद्र सिंह 1989 में भाजपा के टिकट पर चित्तौड़गढ़ सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ राजसमंद जिले की नाथद्वारा सीट से भाजपा विधायक हैं। उनकी बहू महिमा कुमारी राजसमंद से भाजपा सांसद हैं।