श्रीमद्भागवत कथा का षष्ठम दिवस,
भगवान् पर विश्वास और नाम जप हमारे लिए सब कुछ कर दे देगा।
विनय मिश्र, जिला संवाददाता।
लार ,देवरिया। , लार ब्लाक खरका तुला में चल रहे श्री भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य बृजेशमणि त्रिपाठी
भागवत कथा के दौरान कहा कि
मुझे तो यही सही जान पड़ता है कि यदि मनुष्य अधिक-से-अधिक भगवन नाम पर विश्वास बढ़ाता चला जाय तो भगवान् उसे अपने आप लक्ष्य तक पहुँचा देते हैं। यह केवल मेरी ही प्रतीति नहीं है, यह एक बड़ा सिद्धान्त है और आजतक जितने बड़े-बड़े संत हो गये हैं, प्रायः सभी ने इसका समर्थन किया है। श्रीभगवन्नाम का वस्तु-गुण है कि वह भगवान में श्रद्धा उत्पन्न करा देता है। इतना ही नहीं, नाम की स्वाभाविक महिमा कितनी है, यह बतलाना बहुत कठिन है। भगवत्प्रेम की प्राप्ति अर्थ-धर्म-काम-मोक्ष–इन चार पुरुषार्थों की अपेक्षा भी अत्यन्त उत्कृष्ट एवं पञ्चम पुरुषार्थ मानी जाती है। यह प्रेम भगवन्नाम सुलभ करा देता है। यह बात उन संतों द्वारा समर्थित की गयी है, जो भगवत्प्रेम को प्राप्त कर कृतार्थ हो चुके हैं। जैसे-जैसे दिन बीतते जाते हैं, वैसे-वैसे भगवन्नाम परायण व्यक्ति का स्वयं यह विश्वास दृढ़ होता जाता है कि भगवन्नाम से बढ़कर कोई दूसरा साधन नहीं है। इसलिये मैं प्रत्येक व्यक्ति से नामजप के लिये प्रार्थना करता हूँ। देखें भजन का फल कभी-कभी तुरंत देखने में नहीं आता किंतु *एक-न-एक दिन यह भगवन्नाम भगवान को मिलाकर छोडेगा, यह बात ध्रुव सत्य है।
अस्तु जहाँ तक बने–चाहे जो भी भाव हो, सकाम-निष्काम कैसी भी वृत्तियाँ क्यों न हों– अधिक–से–अधिक नाम जप करते रहें।
विनय-पत्रिका में एक पद है, जिसकी अन्तिम दो पंक्तियाँ हैं–
सकल अंग पद-बिमुख,नाथ मुख नाम की ओट लई है।
है तुलसिहिं परतीति एक, प्रभु मूरति कृपामई है।
—ये गोस्वामी तुलसीदासजी के वचन हैं। ये मिथ्या हो नहीं सकते। बस भगवान पर विश्वास और नामजप हमारे लिये सब कुछ कर देगा, यह विश्वास करके भगवान् जैसे रखना चाहें,उसी परिस्थिति में आनन्द मानते हुए जीवन बिताते चलें। कथा के दौरान कृष्ण कुमार ओझा संतोष ओझा, जितेंद्र ओझा, संतोष ओझा, अनुप, सूरज ओझा, शिवम ओझा, प्रकाश ओझा एवं क्षेत्र तथा ग्राम के गणमान्य लोग काफी संख्या में उपस्थित रहे