अनंत महाप्रभु जयंती पर श्री राम कथा । 

 

जिला संवाददाता ,देवरिया।

 

बरहज नगर में चल रहे अनंत महाप्रभु जयंती महोत्सव के तीसरे दिन बड़हलगंज से पधारी हुई कथावाच श्रीमती विजय लक्ष्मी शुक्ला ने भरत चरित्र की व्याख्या करते हुए कहां कि जब भरत जी ननिहाल से वापस अयोध्या है और उन्होंने देखा कि अयोध्या सुनी लग रही है तोअपने माँ के पास गए और अयोध्या के घटनाक्रम को जाना वह बड़े दुखी हुए और उन्होंने कैकई से कहा कि तुमने अयोध्या में अनर्थ के 14 दरवाजे खोल दिए सारे अनर्थ का मूल कारण में हूं । इसलिए दुखी मन से मां कौशल्या के पास गए माता कौशल्या ने भारत को अपने गोद में बिठा लिया प्रभु श्री राम का वन गमन क्यों हुआ प्रभु क्या चाहते थे आपको बताऊं की एक बार समुद्र मंथन हुआ था जिससे 14 रत्न निकले थे समुद्र मंथन देवता और व्यक्तियों ने मिलकर किया था और निकलने वाले विष भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया जिससे संसार बच गया । ठीक उसी तरह से अयोध्या में भी मंथन हुआ जिससे भरत जैसा संत निकला इस मंथन से निकलने वाले विष को कैकई अपने हृदय में रख लिया जीवन पर्यंत इस विष को धारण करके तड़पती रही। कथा के दौरान श्री कृष्णा इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रेम शंकर पाठक, डॉक्टर किरण पाठक, अशोक शुक्ला ,सावित्री राय, बलभद्र तिवारी, डॉ महथ प्रसाद कुशवाहा ,परशुराम पांडे, सविता पांडे, पुष्पा पांडे ,पीयूष मिश्रा, राकेश तिवारी, देव सिंह, कमलेश मिश्रा, अनुपमा सिंह, सिंधु यादव ,अनन्य पांडे ,शशि कला, अनुपमा सिंह, संगीता गुप्ता, ब्यूटी पांडे, सीमा आर्य, आकांक्षा सिंह, सुमन कुमारी, सरस त्रिपाठी, एवं उर्मिला मिश्रा, शकुंतला मिश्रा, वंदना यादव ,आकांक्षा मिश्रा, अनमोल मिश्रा ,माखन, मानस, अनुपम मिश्रा, ओमप्रकाश द्विवेदी, शिवम पांडे, निखिल द्विवेदी, हरिशंकर पांडे सहित काफी संख्या में श्रद्धालु जन उपस्थित रहे तथा मंच का संचालन पंडित विनय मिश्र ने किया

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