मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को चार किस्तों में मिलेगा महंगाई भत्ते का एरियर

Madhya Pradesh employees will get arrears of dearness allowance in four installments

भोपाल: मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को सरकार ने चार प्रतिशत महंगाई भत्ते के तौर पर दीपावली का तोहफा देते हुए एरियर का भुगतान चार किस्तों में करने का फैसला लिया है।

 

राज्य सरकार ने कर्मचारियों को एक अक्टूबर से बढ़े हुए महंगाई भत्ते के भुगतान के आदेश जारी कर दिए हैं। भुगतान नवंबर में होगा। राज्य के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता 1 जनवरी से लागू किया गया है और नौ माह का एरियर कर्मचारियों को चार किस्तों में दिया जाएगा। कर्मचारियों को यह किश्त दिसंबर 2024 के अलावा जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 मिलेगी।

 

राज्य के कर्मचारियों को वर्तमान में 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा था जिसमें चार प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इस तरह कर्मचारियों को 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा।

 

वित्त विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश के अनुसार जिन कर्मचारियों की 1 जनवरी 2024 से 30 सितंबर 2024 की अवधि में सेवानिवृत्ति हुई है या उनकी मौत हुई है, उनके नामित सदस्य को एरियर की राशि का एक मश्त भुगतान किया जाएगा। राज्य में कर्मचारियों को 1 जुलाई 2023 में सातवें वेतनमान के अंतर्गत पूर्व से प्रचलित महंगाई भत्ते की दर 42 प्रतिशत में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी और महंगाई भत्ता बढ़ाकर 46 प्रतिशत हो गया था।

 

राज्य के कर्मचारी सरकार से लगातार केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता दिए जाने की मांग करते आ रहे हैं। राज्य के कर्मचारियों को अब 50 फ़ीसदी महंगाई भत्ता मिलेगा। वहीं केंद्र के कर्मचारियों को 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलने लगा है।

 

ज्ञात हो कि कर्मचारियों ने महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी न किए जाने के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था और यहां तक चेतावनी दी थी कि अगर दीपावली से पहले महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी नहीं की गई तो वे तालाबंदी तक के लिए तैयार है। सरकार ने कर्मचारियों की मांग को स्वीकार किया और महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है और अब इसके आदेश भी जारी हो गए हैं।

 

बता दें राज्य सरकार पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है और वित्त विभाग के आदेश में भी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के भुगतान में इस बात का ध्यान रखने को कहा गया है कि महंगाई भत्ते के भुगतान पर किया गया व्यय संबंधित विभाग के चालू वर्ष के स्वीकृत बजट प्रावधान से अधिक न हो।

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