रुक्मणी अष्टमी 22 नवंबर को एवं भैरव जयंती 23 को मनाई जाएगी

विनय मिश्र ,जिला संवाददाता ।

बरहज, देवरिया ।
आचार्य अनिल मिश्रा में बताया कि मार्गशीर्ष कृष्ण षष्ठी २१ नवम्बर २०२४ गुरुवार को काशी के समीप प्रसिद्ध रामेश्वर तीर्थ का लोटा-भण्टा मेला लगेगा एवं भगवान राम द्वारा पूजित स्थापित रामेश्वर महादेव के मन्दिर में विधिवत् पूजन कर बाटी-चोखा बनाकर श्रद्धा स्वरूप ग्रहण करने की पुण्य फलदायी परम्परा का निर्वाह करते हैं।
रुक्मिणी अष्टमी का मान चन्द्रोदय व्यापिनी अष्टमी तिथि में २२ नवम्बर २०२४ शुक्रवार को होगा।
श्रीकालभैरवाष्टमी का प्रसिद्ध व्रत पर्व २३ नवंबर २०२४ शनिवार को होगा आज के दिन काल भैरव की जयन्ती (उत्पत्ति) मानी गयी है। देश भर में सर्वत्र एवं काशी के कोतवाल तथा सुरक्षा अधिकारी श्रीकाल भैरव मन्दिर एवं कामाख्या स्थित बटुक भैरव मन्दिर सहित काशी के आठों भैरव मन्दिरों में कालाष्टमी कालभैरव जयंती मनाई जाएगी। आज रात्रि जागरण कर पूजन श्रृंगार के विशेष अनुष्ठान किये जायेंगे। शास्त्र में कहा गया है कि यदि कोई पाप जीवन में किया गया है तो वह आज के दर्शन मात्र से समाप्त हो जाता है। मनघा व्रत का मान भी आज ही होगा।
उत्पन्ना एकादशी व्रत का मान सबके लिए २६ नवम्बर २०२४ मंगलवार को होगा। इस एकादशी का व्रत करने से अभीष्ट कार्य की सिद्धि होती है। आज ही श्रीत्रिदण्डी स्वामीजी की जयन्ती बक्सर (बिहार) में हर्षोल्लास साथ उत्सव रुप में मनाया जाएगा।

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