आदिवासी विद्यालय की दुर्व्यवस्थाओं को लेकर छात्रों ने निकाला जुलूस, तहसील मुख्यालय का घेराव कर किया प्रदर्शन
The students staged a procession, surrounded the tehsil headquarters and protested against the malpractices of the tribal schools
ब्यूरो रिपोर्ट सोनभद्र।
सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश। दुद्धी तहसील मुख्यालय स्थित जय प्रकाश नारायण सर्वोदय आदिवासी विद्यालय में व्याप्त दुर्व्यवस्थाओं को लेकर सोमवार को छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। सैकड़ों छात्रों ने हाथों में तख्तियां लेकर जुलूस की शक्ल में नगर के मुख्य बाजार से होते हुए तहसील परिसर पहुँचे। जहाँ छात्रों ने विद्यालय के अधीक्षक डॉ. अवधेश सोनकर पर शोषण और लापरवाही का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की।
विद्यालय के छात्र सहवाग कुमार, दया कुमार विश्वकर्मा, गोविंद, राहुल, हरिभजन, विजय, मनीष, और दयाशंकर सहित अन्य ने प्रशासन के सामने कई समस्याएं गिनाईं बच्चों ने आरोप लगाया कि बीते चार वर्षों से जूता-मोजा, स्वेटर अंडरवियर के साथ ही शौचालय व विद्यालय परिसर की साफ सफाई सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी उन्हें झेलना पड़ रहा है। इसके साथ ही खान पान व भोजन की गुणवत्ता को भी बेहद खराब बताया।
बच्चों ने अधीक्षक पर शिकायत करने पर नाम काटने और करियर खराब करने की धमकी देने का आरोप लगाया। छात्रों ने कहा कि समस्याएं लंबे समय से बनी हुई हैं। उनकी शिकायतों को बार-बार अनसुना किया गया है, इसलिए वे प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए। वही प्रदर्शन के दौरान उपजिलाधिकारी निखिल यादव मौके पर पहुंचे और छात्रों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने जल्द समाधान का आश्वासन दिया, लेकिन छात्र जिलाधिकारी से मुलाकात की मांग पर अड़े रहे। काफी समझाने बुझाने के बाद सोमवार की दोपहर लगभग डेढ़ बजे सभी छात्र शिक्षकों के साथ वापस विद्यालय लौटे। वही प्रदर्शन के दौरान ऊक्त विद्यालय के अधीक्षक डॉ. अवधेश सोनकर मौके पर मौजूद नहीं थे। छात्रों ने कहा कि अधीक्षक समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें अनदेखा करते हैं। इससे समाज कल्याण विभाग की लापरवाही भी उजागर हो रही है।बता दे कि यह मामला समाज कल्याण राज्यमंत्री के क्षेत्र का है, जहां की व्यवस्थाओं में सुधार न होने से विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कुछ दिन पहले एससी-एसटी आयोग के उपाध्यक्ष जीतसह खरवार ने विद्यालय का निरीक्षण किया था और व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए थे। लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऊक्त विद्यालय की दुर्व्यवस्थाओं और छात्रों के प्रदर्शन ने प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखना यह है कि इन समस्याओं का समाधान कब और कैसे होता है।