4 साल की मासूम से हैवानियत: हाई कोर्ट ने सजा फांसी से 25 वर्ष कारावास में बदला
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में अक्टूबर 2022 को एक 20 वर्षीय युवक ने 4 साल की मासूम के साथ पहले तो रेप किया बाद में फिर उसकी हत्या करने के लिए गला दिया, पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद जिला कोर्ट में पेश किया जहां से उसे फांसी की सजा सुनाई गई। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपी को मिली फांसी की सजा को 25 वर्ष के कारावास में तब्दील की है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल एवं जस्टिस देवनारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहां, कि आरोपी निरक्षर आदिवासी है, और बचपन में उसे अच्छी शिक्षा, तालीम नहीं मिली जिसके चलते उसने यह कृत्य किया था।
30 और 31 अक्टूबर 2022 की दरमियानी रात को जब 4 साल की बच्ची अपने घर में सो रही थी, उस दौरान वह अचानक ही लापता हो गई, परिवार वालों ने बच्ची को तलाश किया तो वह पास की ही एक आम के बगीचे में मरणासन्न हालत में मिली थी। प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को इलाज के लिए इंदौर रेफर किया गया। वहीं पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद जिला कोर्ट में पेश किया। अप्रैल 2023 में ट्रायल कोर्ट ने बच्ची के साथ रेप और हत्या के प्रयास के आरोपी फांसी की सजा सुनाई।
आरोपी की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि, डीएनए रिपोर्ट के अलावा पुलिस के पास कोई भी सबूत नहीं है, इस मामले में एक भी प्रत्यक्षदर्शी सबूत पुलिस को नहीं मिला है। इधर शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि डीएनए एक वैज्ञानिक साक्ष्य है जिससे यह साबित हुआ है, की हैवानियत के साथ बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था और बाद में उसकी हत्या का प्रयास भी किया गया।
मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि 4 साल की मासूम से रेप और फिर गला घोटकर उसकी हत्या का प्रयास करना, यह क्रूर कृत्य है, लेकिन युवा की पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए फांसी की सजा उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी 20 साल का आदिवासी निरक्षर युवक है, उसके परिजनों ने उसे शिक्षा नहीं दी और ना ही उसके ठीक से देखरेख की, यही वजह है कि कम उम्र में ही वह एक ढाबे में काम करने लगा, जहां उसे गलत संगत मिली, जिसके चलते उसकी देखभाल नहीं हुई और उसने यह घिनौना कृत्य किया।