आजमगढ़:योगासन खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित हुई रागेश्वरी, तेजस्विनी

आजमगढ़ बलरामपुर से बबलू राय

 

आजमगढ़ जनपद में स्थित महर्षि चन्द्रमा ऋषि की तपोस्थली सिलनी तट पर योग का विहंगम दृश्य देख आम से लेकर खास  मंत्रमुग्ध हो उठे। मौका था 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का। जहां योग दिवस को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमे शहर से सटे भदुली गांव की दो बहनें रागेश्वरी गोंड व तेजस्विनी गोंड ने अपने योग के प्रदर्शन से सभी को मुग्ध कर दिया। इस मौके पर इन दोनों बेटियों को लखनऊ मेंं आयोजित नेशनल सेमिनार एवं अवार्ड समारोह-2025 में जारी प्रमाण पत्र ’योगासन खेल रत्न’ अवार्ड व प्रशस्ति पत्र से मंत्री अनिल राजभर, डीएम रविन्द्र कुमार द्वितीय, सीडीओ परीक्षित खटाना द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान कर सम्मानित किया गया।
बताते चले कि उत्तर प्रदेश सरकार व ऋषिकुल योग पीठ (इंस्टीट्यूट ऑफ योगा एवं नेचुरोपैथी) द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार एवं अवार्ड समारोह 2025 में यह अवार्ड नहीं ले सकी थी। जो विश्व योग दिवस के समारोह में इन्हें प्रदान किया गया। रागेश्वरी, तेजेस्विनी के पिता योगाचार्य शंकर प्रसाद भी योग में रूचि रखते है और बचपन से ही अपनी बेटियों को योग के महत्व को बताया। अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए दोनों बेटियां बचपन से सही सुबह चार बजे उठकर स्टेडियम पहुंचकर योगाभ्यास करती रहीं। योग के प्रति समर्पण दिन प्रति दिन बढ़ता चला गया। रागेश्वरी व तेजश्वनी द्वारा राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर पर गुजरात प्रांत में आयोजित योगासन खेल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल, सिल्वर मेडल, ब्रांस मेडल के साथ-साथ महाराजा सुहेलदेव राज्य विवि की तरफ से ऑल इंडिया विवि योगासन खेल प्रतियोगिता भुवनेश्वर (उड़ीसा) में आयोजित दो-दो बार प्रतिभाग की। इन दोनों बहनों का योग के प्रति सर्म्पणता का ही परिणाम रहा कि विश्व योग दिवस पर इन्हें योगासन खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया।  इन दोनों बेटियों ने बताया कि हमने योग को अपने जीवन में दिव्य अलौकिक शक्ति के रूप में उतारा है। योग एक विद्या रूपी सागर है जिसकी गहराई हर कदमों के साथ और गहरी होती चली जाती हैं। वहीं योगाचार्य शंकर प्रसाद ने बताया कि चन्द्रमा ऋषि के आश्रम पर सम्मानित होना सुखद है लेकिन अभी बेटियों को असली मुकाम हासिल करना बाकी है।
योग साधकों के साथ साथ दोनों बेटियों को बधाई देने वालों में डा आर बी त्रिपाठी, अशोक वर्मा, विनय कुमार राय, ज्ञान चंद बरनवाल, प्रोफेसर प्रशांत राय, राधेश्याम सिंह उर्फ गुड्डू सिंह,डा पंकज सिंह, ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव, जालंधर विश्वकर्मा, दीपू प्रसाद खरवार, आशीष विश्वकर्मा आदि शामिल रहे।

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