बलिया बलिदान दिवस पर किया शहीदों को नमन,
रिपोर्ट संजय सिंह
रसड़ा(बलिया) स्वतंत्रता आंदोलन में 17 अगस्त 1942 में रसड़ा के चार लोगों ने शहादत दिया था। स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में 9 अगस्त 1942 के मुम्बई अधिवेशन में महात्मा गांधी जी के द्वारा ” करो या मरो” के शंखनाद का बलिया में विशेष प्रभाव देखा गया। ब्रिटिश पुलिस से लड़ते हुए रसड़ा, बलिया, बैरिया आदि जगहों पर क्रांतिकारियों ने शहादत दिया। पूरे बलिया जनपद में क्रांति की लहर फैल गई। जनपद के तहसीलों पर क्रांतिकारियों ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया। 19 अगस्त 1942 को चित्तू पांडेय के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट सहित सभी सरकारी कार्यालयों पर झण्डा फहराया गया। 19 अगस्त 1942 की शाम बलिया को आजाद घोषित करते हुए हुए देश में सबसे पहले ब्रितानिया हुकूमत के समानांतर स्वतंत्र बलिया में प्रजातंत्र की सरकार का गठन हुआ। जिसकी याद में वीर शहीदों को नमन करते हुए 19 अगस्त को बलिया बलिदान दिवस मनाया जाता है। रसड़ा क्षेत्र में भी अनेकों लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। 17 अगस्त 1942 को रसड़ा में चार लोगों ने शहादत दिया था। व्यापार कल्याण समिति रसड़ा के संरक्षक सुरेश चन्द के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी ज्ञात और अज्ञात शहीद क्रांतिकारियों एवं सेनानियों को नमन और श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए ब्लाक मुख्यालय स्थित शहीद स्तंभ के साथ ही अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद, शहीद-ए-आजम भगत सिंह एवं महात्मा गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर व्यापार कल्याण समिति रसड़ा पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजुद रहे।