Azamgarh news:तमसा रिवर फ्रंट, लाइट एंड साउंड प्रोजेक्ट सहित 6 मांगों को लेकर पर्यटन मंत्री को जर्नलिस्ट क्लब ने दिया ज्ञापन

आजमगढ़ के सांस्कृतिक और पर्यटन विकास को लेकर जर्नलिस्ट क्लब ने विभागीय मंत्री को सर्किट हाउस में दिया ज्ञापन।एसीएस मुकेश मेश्राम भी रहे उपस्थित, मंत्री और अपर मुख्य सचिव संस्कृति ने दिया आश्वासन।

रिपोर्ट:सौरभ उपाध्याय

आजमगढ़। आजमगढ़ की सांस्कृतिक विरासत,पौराणिक,ऐतिहासिक महत्व, पुरातात्त्विक, पर्यटन तथा स्वतंत्रता आंदोलन के ऐतिहासिक प्रतीकों, चिन्हों, मंदिरों, विरासतों और दुर्लभ प्रतीकों के संरक्षण और विकास को लेकर आज जर्नलिस्ट क्लब ने उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को एक मांग पत्र दिया।सर्किट हाउस में आज दोपहर 2बजे के करीब जर्नलिस्ट क्लब के संयोजक डॉ अरविन्द सिंह के नेतृत्व में पत्रकारों का एक दल जिसमें वरिष्ठ पत्रकार महेन्द्र सिंह, वसीम अकरम, उपेन्द्रनाथ मिश्रा, अच्युतानन्द त्रिपाठी, सौरभ उपाध्याय, अखिलेश सिंह आदि लोगों ने संयुक्त रूप से एक ज्ञापन सौंपा जिसमें आज़मगढ़ के सांस्कृतिक और पर्यटन विकास तथा जीर्णोद्धार को लेकर मांग की गई हैं।

जर्नलिस्ट क्लब ने इन्हीं मांगों को इसके पूर्व जिलाधिकारी के माध्यम से भी शासन को ज्ञापन भेजा था।

क्या हैं प्रमुख मांगें –

1- संस्कृति और पर्यटन विभाग (तथा संग्रहालय निदेशालय आदि जिससे भी संबंधित हो) के द्वारा आजमगढ़ के पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन से जुड़े प्रतीक चिन्हों, दुर्लभ पौराणिक चिन्हों, स्वतंत्रता आंदोलन के दृश्यों के संकलन हेतु मंडल मुख्यालय पर एक “राजकीय संग्रहालय” का निर्माण कराया जाए।

2- आजमगढ़ जिला मुख्यालय पर स्थित कुंवर सिंह उद्यान जो 1857 की क्रांति का प्रतीक रहा है। जेल का फाटक टूटा और तीन बार कुल कालखंड के लिए स्वतंत्र रहा है। स्वयं वीर कुंवर सिंह वयोवृद्ध योद्धा, महानायक यहां की क्रांति से प्रभावित होकर अंग्रेज़ी फ़ौज से मुकाबला करने के लिए जगदीशपुर रियासत से चलकर आए थें। उनकी याद में बने कुंवर सिंह उद्यान में कुंवर की प्रतिमा का न होना, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस लिए हमारी मांग है कि इस स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक कुंवर सिंह उद्यान में कुंवर सिंह की प्रतिमा लगायी जाए। तथा स्वतंत्रता आंदोलन के कालखंड के दृश्यों और घटनाओं को ‘लाइट एंड साउंड प्रोग्राम’ के माध्यम से दृश्यांकन हेतु परियोजना बनाई और संचालित किया जाए। जिससे आजमगढ़ के समृद्ध इतिहास को संजोने, उसे जानने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा।

3- आजमगढ़ के सांस्कृतिक विकास हेतु पौराणिक अत्रि और अनुसुइया के तीनों पुत्रों दत्तात्रेय, दुर्बासा तथा चन्द्रमा ऋषियों की साधना स्थली दो-दो नदियों के पवित्र संगम पर स्थित हैं। इनके उद्धार हेतु इनके स्थलों, मंदिरों का जीर्णोद्धार तथा जन सुविधाओं का विकास पर्यटन और संस्कृति की दृष्टि से कराया जाए।

4- पूर्वांचल संतों, सिद्धों, समाज सुधारकों की धरती रही है। संत परंपरा में जहां गोरखपुर में गुरु गोरखनाथ हुए हैं तो आज़मगढ़ में भीखा साहब, गोविंद साहब का मठ/साधना स्थली रही है। इसी क्रम भीखा साहब की कुटी/मठ- ग्राम- सेमरौल, विकास खंड -जहानागंज तथा जहानागंज बाजार स्थित प्राचीन पर्णकुटी (मंदिर) का जीर्णोद्धार/निर्माण और जनसुविधाओं का विकास पर्यटन और संस्कृति के दृष्टि से कराया जाए।

5- श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर,नीवी,बेलईसा, तहसील सदर, नगर पालिका क्षेत्र आजमगढ़ में स्थित सैकड़ों वर्ष पुराना शिव मंदिर के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण एवं
आजमगढ़ जनपद की सबसे बड़ी ग्राम सभा में श्री शिव मंदिर रानीपुर रजमो, (पहिलेपुर) विकासखंड मोहम्मदपुर मे जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण कराया जाए।

6-आजमगढ़ नगर को पवित्र तमसा नदी तीन ओर से घेरी हुई है। यह वही सदानीरा नारायणी तमसा नदी है, जिसके तट पर वनगमन करते हुए स्वयं प्रभुश्रीराम, अनुज लक्ष्मण और मां सीता समेत प्रथम रात्रि विश्राम किए थे। नगर के निकट प्रवाहित तमसा के तट पर ‘तमसा रिवर फ्रंट’ तथा बोटिंग क्लब का निर्माण कराया जाए। जिससे जन-जीवन लाभान्वित हो सकें।

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