कागज़ों में बसा ‘स्वर्ग’, ज़मीन पर बर्बादी का आलम! आज़मगढ़ के जोकहरा गांव की पोल खोलती जांच

'Heaven' on paper, ruin on the ground! Investigation exposes the truth of Azamgarh's Jokhara village

आज़मगढ़ – सरकारी योजनाओं की धज्जियां उड़ाने का ताज़ा नमूना हरैया ब्लॉक के जोकहरा गांव में सामने आया है, जहां जांच अधिकारी राम मूरत सहायक निदेशक सेवायोजन, अपनी टीम के साथ जमीनी हकीकत जानने पहुंचे। और जो देखा… वो बस कागज़ी विकास की ‘काली कहानी’ थी।रिसोर्स रिकवरी सेंटर ? हाँ, बना है। लेकिन… रास्ता नहीं है!

शायद अधिकारी उड़कर वहां पहुंचेंगे – या हो सकता है, ये सेंटर सिर्फ ड्रोन से देखने के लिए बना हो।
शौचालय बना है लेकिन उसमें कमोड नहीं है। कह सकते हैं – आधा निर्माण, पूरा भ्रष्टाचार।
अमृत सरोवर की हालत तो ऐसी है मानो ‘अमृत’ सूखकर ‘विष’ में बदल गया हो। ग्रामीणों का दावा है कि कागज़ों में 1000 पेड़ लगे हैं मगर ज़मीन पर गिनती के एक भी पेड़ दिखाई नहीं दिए। लगता है पेड़ भी डिजिटल इंडिया में वर्चुअल हो चुके हैं! यानी तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे और दावे किताबी है
प्रधान प्रेमा देवी, उनके प्रतिनिधि, और ग्राम सचिव सभी नदारद रहे।
जांच टीम आई, देखी, और सवालों का पुलिंदा लेकर लौट गई।
जवाब देने वाला कोई नहीं था।
जैसे गांव नहीं, कोई ‘घोस्ट टाउन’ हो।
शिकायतकर्ता आदित्य प्रजापति ने बताया कि उन्होंने पहले भी कई बार शिकायत की, जांच भी हुई, लेकिन नतीजा…ढाक के तीन पात।
अब कमिश्नर स्तर से दबाव में 18 बिंदुओं पर जांच हुई है – और गांव में हड़कंप मच गया है। अब सवाल यही है:
क्या इस बार भी जांच के नाम पर फाइलें घूमती रहेंगी, या किसी की जिम्मेदारी तय भी होगी?
क्योंकि अगर कागजों पर ही सब कुछ चलता रहा, तो ज़मीनी हकीकत सिर्फ मिट्टी, भ्रष्टाचार और झूठ की फसल बनकर रह जाएगी।

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